Chapter 1: मन (पूरक पठन)
उचित जोड़ियाँ मिलाइए :
अ | आ | |
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मछली | ______ | मौन |
गीतों के स्वर | ______ | सूना |
रेल की पटरयिाँ | ______ | प्यासी |
आकाश | ______ | अमर |
पीड़ा |
अ | उत्तर |
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मछली | प्यासी |
गीतों के स्वर | अमर |
रेल की पटरयिाँ | मौन |
आकाश | सूना |
परिणाम लिखिए :
सितारों का छिपना - ______
आकाश का सूना होना।
तुम्हारा गीतों को स्वर देना - ______
उन गीतों का अमर हो जाना।
मन की ______ बरसीं आँखें।
कवि कहता है कि मन में जो पीड़ा है, वह बादल बनकर आँखों में छा गई और आँखों से अश्रुओं की वर्षा होने लगी। यहाँ कवि यह बताना चाहता है कि अक्सर मन का दुख आँसुओ से ही प्रकट होता है।
लिखिए :
निम्नलिखित हाइकु द्वारा मिलने वाला संदेश | |
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करते जाओ पाने की मत सोचो जीवन सारा। | भीतरी कुंठा नयनों के द्वार से आई बाहर। |
______ | ______ |
करते जाओ पाने की मत सोचो जीवन सारा । | भीतरी कुंठा नयनों के द्वार से आई बाहर। |
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हमें पूरा जीवन काम करते रहना चाहिए। यह नहीं सोचते रहना चाहिए कि हमें क्या प्राप्त होगा। | जब नेत्रों से अश्रु बहते हैं तो यह मानना चाहिए कि मन की कुंठा नयन रूपी द्वार से बाहर आ रही है। |
कृति पूर्ण कीजिए :
हाइकु में प्रयुक्त महीना और उसकी ऋतु
हाइकु में प्रयुक्त महीना और उसकी ऋतु
फागुन
बसंत
उत्तर लिखिए :
मँझधार में डोले |
मँझधार में डोले - जीवन नैया |
छिपे हुए |
छिपे हुए - सीतारे |
धुल गए |
धुल गए - विषाद |
अमर हुए |
अमर हुए - आकाश |
निम्नलिखित काव्य पंक्तियों का केंद्रीय भाव स्पष्ट कीजिए :
चलतीं साथ
पटरियाँ रेल की
फिर भी मौन।
रेल की पटरियाँ अनंत काल से साथ चल रही हैं, परंतु वे सदा मौन रहती हैं। एक-दूसरे से कभी बात नहीं करतीं।
काँटों के बीच
खिलखिलाता फूल
देता प्रेणा।
गुलाब का फूल काँटों के बीच भी हँसता है, खिलखिलाता है। वह हमें हर पल प्रेरणा देता है कि हमें परेशानियों से घबराए बिना अपना काम करते जाना है।
वक्तृत्व प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाने के उपलक्ष्य में आपके मित्र/सहेली ने आपको बधाई पत्र भेजा है, उसे धन्यवाद देते हुए निम्ن प्रारूप में पत्र लिखिए :
दिनांक :______
संबोधन :______
अभिवादन :______
प्रारंभ :
विषय विवेचन :
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तुम्हारा/तुम्हारी,
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नाम :______
पता :______
ई-मेल आईडी :______
दिनांक: १५ जनवरी, २०१८
प्रिय मित्र,
सादर नमस्कार!
आपका पत्र दो दिन पूर्व ही मिला। विद्यालय की वक्तृत्व प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त होने के उपलक्ष्य में आपकी तरफ से मिली बधाई को मैं स्वीकार करते हुए आपको धन्यवाद देता हूँ। इस सफलता से मेरे माता-पिता बहुत खुश हैं और मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि इस खुशी में आप भी सहभागी हैं।
एक बार पुनः आपके बधाई पत्र व शुभकामनाओंके लिए हृदय से धन्यवाद।
तुम्हारा मित्र,
अमन गुलाटी
अमन गुलाटी,
१५४/मनन नगर,
दादर,
मुंबई।