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2 - लक्ष्मी हिंदी - लोकभारती १० वीं कक्षा Balbharati solutions for Hindi - Lokbharati 10th Standard SSC Maharashtra State Board (52)

लक्ष्मी - हिंदी लोकभारती १० वीं कक्षा | Balbharati Solutions

Chapter 1: लक्ष्मी

संजाल पूर्ण कीजिए :

SOLUTION

परिच्छेद से प्राप्त ज्ञान सिंह संबंधी जानकारी:

  1. ज्ञान सिंह को मवेशी पालने का बहुत शौक था।

  2. तीन बरस पहले उसने एक जर्सी गाय खरीदी थी।

  3. गाय से प्राप्त दूध को बेचना ज्ञान सिंह का धंधा नहीं था।

  4. नौकरी से अवकाश के बाद ज्ञान सिंह को कंपनी का मकान खाली करना था।

उत्‍तर लिखिए :

______ ज्ञान सिंह की समस्‍याए ______

SOLUTION

ज्ञान सिंह की समस्‍याए

  1. वह लक्ष्मी को किसी भी हालत में बेच नहीं सकता था।

  2. लक्ष्मी को अपने साथ ले जाना उसके लिए संभव नहीं था।

______ ज्ञान सिंह के दूध ______
          बेचने का उद्देश्

SOLUTION

ज्ञान सिंह के दूध बेचने का उद्देश्य

  1. गाय (लक्ष्मी) का जरूरत से ज्यादा दूध देना।

  2. गाय (लक्ष्मी) के चारे और दर्रे के लिए पैसे जुटाना।

चौखट में दी सूचना के अनुसार कृतियाँ कीजिए :

SOLUTION

  1. दास, नौकर

  2. सेविका

  3. स्वामी

  4. सेवक

पालतू जानवरों के साथ किए जाने वाले सौहार्दपूर्ण व्यवहार के बारे में अपने विचार लिखिए।

SOLUTION

पशु-पक्षियों व मनुष्यों के मध्य बहुत पुराना रिश्ता है। प्राचीन समय से ही मनुष्य पशु-पक्षियों को पालता आ रहा है और इन्हें अपने परिवार के सदस्य की भाँति प्यार भी करता रहा है। पालतू जानवर भी कई बार अच्छे मित्र या सहायक सिद्ध होते हैं। भरा-पूरा परिवार है, तो भी पालतू जानवरों का अपना एक अलग महत्त्व होता है। मानवीय संबंध कहीं-न-कहीं स्वार्थो से जुड़े होते हैं, लेकिन मनुष्य और जीव-जंतुओं का संबंध बिना किसी शर्त और स्वार्थ के होता है। यह संबंध मनुष्य में अच्छे गुणों का विकास करने में भी सहायक है। दुनिया में ढेरों लोग हैं, जो पशु-पक्षियों और पालतू जानवरों से बेहद प्यार करते हैं। वे उन्हें अपने घर-परिवार का हिस्सा मानते हैं। पालतू जानवर भी अपने मालिक के प्रति हमेशा वफादार रहता है।

संजाल पूर्ण कीजिए :

SOLUTION

मार के कारण लक्ष्मी के व्यवहार में आया परिवर्तन

  1. लक्ष्मी बड़ी भयभीत और घबराई थी |

  2. जो भी उसके पास जाता, उसे सिर हिलाकर मारने की कोशिश करती थी |

  3. उछल-कूद रही थी |

  4. गले की रस्सी तोड़कर खूंटे से आजाद होने का प्रयास करती |

उचित घटनाक्रम लगाकर वाक्‍य फिर से लिखिए :

  1. उसके गले में रस्‍सी थी।

  2. रहमान बड़ा मूर्ख है।

  3. वह लक्ष्मी को सड़क पर ले आया।

  4. उसने तुम्‍हें बड़ी बेदर्दी से पीटा है।

SOLUTION

  1. उसने तुम्हें बेदर्दी से पीटा है।

  2. रहमान बड़ा मूर्ख है।

  3. उसके गले में रस्सी थी।

  4. वह लक्ष्मी को सड़क पर ले आया।

उत्‍तर लिखिए :

SOLUTION

ज्ञान सिंह का पशुप्रेम दर्शाने वाली बात:

  1. मवेशी पालने का शौक |

  2. उसके घर के दरवाजे पर गाय या भैंस बँधी रहती |

  3. तीन साल पहले उसने अधेड़ उम्र की एक जर्सी गाय खरीदी |

  4. परेशानी होने पर भी वह लक्ष्मी (गाय) को नहीं बेचता |

गलत वाक्‍य, सही करके लिखिए :

करामत अली पिछले चार सालों से गाय की सेवा करता चला आ रहा था।

SOLUTION

करामत अली पिछले एक साल से गाय की सेवा करता चला आ रहा था।

करामत अली को लक्ष्मी की पीठ पर रोगन लगाने के बाद इत्‍मीनान हुआ।

SOLUTION

करामत अली को लक्ष्मी की पीठ पर रोगन लगाने के बाद भी इत्मीनान नहीं हुआ।

निम्‍नलिखित मुद्दों के आधार पर वर्णन कीजिए :

SOLUTION

करामत अली की गाय

  1. नाम : लक्ष्मी

  2. उम्र : अधेड़ उम्र

  3. नस्ल : जर्सी

  4. स्थिति : बूढ़ी हो जाने के कारण अब दूध देना बंद कर दिया था।

कारण लिखिए :

करामत अली लक्ष्मी के लिए सानी तैयार करने लगा।

SOLUTION

सुबह से रमजानी या रहमान किसी ने भी लक्ष्मी को चारा, दर्रा कुछ भी नहीं दिया था। लक्ष्मी बहुत भूखी थी।

रमजानी ने करामत अली को रोगन दिया |

SOLUTION

रहमान के मारने के कारण लक्ष्मी की पीठ पर चोट आई थी।

रहमान ने लक्ष्मी को इलाके से बाहर छोड़ दिया।

SOLUTION

लक्ष्मी ने दूध देना बंद कर दिया था और गरीबी के कारण लक्ष्मी को अपने साथ रखना परिवारवालों के लिए मुमकिन नहीं था, इसलिए वह उसे आजाद करना चाहता था।

करामत अली ने लक्ष्मी को गऊशाला में भरती किया।

SOLUTION

सुबह से रमजानी या रहमान किसी ने भी लक्ष्मी को चारा, दर्रा कुछ भी नहीं दिया था। लक्ष्मी बहुत भूखी थी।

हिंदी-मराठी में समोच्चारित शब्‍दों के भिन्न अर्थलिखिए :

SOLUTION

पीठ 

  • हिंदी - प्राणियों के पेट व सीने के विपरीत दिशा में पड़ने वाला हिस्सा

  • मराठी - आटा |

खाना

  • हिंदी - भोजन

  • मराठी - स्थान |

खत 

SOLUTION

खत

  • हिंदी - पत्र

  • मराठी - खाद

SOLUTION

चारा

  • हिंदी - उपाय

  • मराठी - घास

कल

  • हिंदी - अणे वाला दिवस

  • मराठी - रुझान या प्रवृत्ति

‘यदि आप करामत अली की जगह पर होते तो’ इस संदर्भ में अपने विचार लिखिए।

SOLUTION

       यदि मैं करामत अली की जगह होता, तो मेरी प्रतिक्रिया भी वैसी ही होती जैसी करामत अली की थी। मेरी गाय को पीटने वाले पर मैं भी गुस्सा करता। गाय की पीठ पर लगी चोट पर मैं भी रोगन लगाता ताकि गाय को पीड़ा से आराम मिल सके। गाय के अनुपयोगी होने पर मैं कभी भी उसे बेचने का विचार नहीं करता, क्योंकि मैं जानता हूँ कि आज के इस युग में पशुओंकी क्या स्थिति है। अपनी गरीबी के कारण मजबूर होकर मैं भी करामत अली की तरह गाय को गऊशाला में भरती कराता। गऊशाला ही एक ऐसी जगह है, जहाँ गायों की सेवा की जाती है। उनके खान-पान का पूरा ध्यान रखा जाता है, इसलिए मैं अपनी गाय को किसी कसाई के हाथ न बेचता उसे खुले में न छोड़कर उसे गऊशाला में भरती कराता ताकि उसकी अच्छे से देखभाल हो सके।

निम्‍नलिखित वाक्‍यों में उचित विरामचिह्नों का प्रयोग कर वाक्‍य पुनः लिखिए:

ओह! कंबख्त ने कितनी बेदर्दी से पीटा है।

मैंने कराहते हुए पूछा - "मैं कहाँ हूँ?“

मँझली भाभी मुट्ठी भर बुँदिया सूप में फेककर चली गई।

बड़ी बेटी ने ससुराल से संवाद भेजा है, उसकी ननद रूठी हुई है, मोथी की शीतलपाटी के लिए।

केवल टीका, नथुनी और बिछिया रख लिए थे।

ठहरो! मैं माँ से जाकर कहती हूँ। इतनी बड़ी बात!

'टाँग का टूटना' यानी सार्वजनिक अस्पताल में कुछ दिन रहना।

जल्दी-जल्दी पैर बढ़ा।

लक्ष्मी चल, अरे! गऊशाला यहाँ से दो किलोमीटर दूर है।

मानो उनकी एक आँख पूछ रही हो–"कहो, कविता कैसी रही?“

निम्‍नलिखित मुद्दों के आधार पर वर्णन कीजिए :

विरामचिन्हवाक्‍य

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SOLUTION

[जीवन (सुख-दुख) के संदर्भ में एक वक्ता के विचार]

वक्ता: जीवन के दो पहलू हैं–'सुख और दुख'। हर मनुष्य के जीवन में सुख-दुख आता-जाता रहता है। जब उसे उसके मन के अनुसार अच्छा खाना मिलता है; महँगे आभूषण  मिलते हैं; बड़ी-बड़ी गाड़ियाँ मिलती हैं, तब वह सुख का अनुभव करता है, परंतु क्या वह वास्तव में सुखी होता है? जवाब है, नहीं। इन्हें पाकर उसमें लालच, अहंकार, द्वेष व स्वार्थ की भावना आ जाती है और यही भावनाएँ उसके दुख का कारण बनती जाती हैं। दुख की अनुभूति होने पर वह वास्तविक सुख की पहचान करता है। सचमुच! गांधी जी ने सही कहा है, "जिज्ञासा के बिना ज्ञान नहीं होता, दुख के बिना सुख नहीं होता।“

वक्ता: मनुष्य को चाहिए कि वह अच्छे कर्म करे। गरीब, असहाय, बूढ़े, विकलांगों की सदैव सहायता...।

किसी पालतू प्राणी की आत्‍मकथा लिखिए।

SOLUTION

       मेरी इस दुनिया में विभिन्न प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इस दुनिया में सबसे वफादार प्रणियों में से मेरी जाति एक है। जब भी स्वामिभक्ति, ईमानदारी, सजगता और कर्तव्यनिष्ठा की बात होती है, तब हमें ही याद किया जाता है। मैं कुत्ता हूँ, मेरा नाम टॉम है।

     अपने जन्म से एक माह तक मैं अपनी माता लॉरेन के साथ रहा। मैं अपने छोटे भाई-बहनों के साथ बहुत उछल-कूद करता था। उसके बाद मेरे मालिक ने मुझे एक ब्रह्मण परिवार में बेच दिया। वहाँ पर मेरा नाम टॉम रखा गया। इस परिवार के मुखिया ही अब मेरे मालिक हैं। शुरू-शुरू में मेरे मालिक मुझे रोज मेरी माँ लॉरेन के पास ले जाते थे। अब मैं तीन वर्ष का हो गया हूँ। मैं बहुत हृष्ट- पुष्ट और तंदुरुस्त हूँ। मेरे मालिक मुझे महीने में एक बार डॉक्टर के पास ले जाते हैं। अब मैं इस परिवार का हिस्सा बन गया हूँ। मैं परिवार के प्रत्येक सदस्य के इशारों व उनकी बातों को समझने लगा हूँ और उसी आधार पर मैं उनसे बर्ताव भी करता हूँ। कब मुझे खुश होना है; कब भक्ति प्रदर्शन करना है; कब शांत होकर बैठ जाना है, इसका मुझे पूरा ज्ञान है। मेरे मालिक मुझे सुबह-शाम सैर कराने ले जाते हैं। मैं रास्ते में पड़ी चीजों को सूंघता जाता हँ। मैं बच्चों व मालिक के साथ बहुत खेलता-कूदता हँ। इससे मेरा अच्छा व्यायाम और मनोरंजन होता है।

      मल-मूत्र आदि का त्याग करने मैं घर से बाहर निर्धारित जगह पर ही जाता हूँ। मैं साफसुथरा रहता हूँ। मैं घर में कभी-भी गंदगी नहीं करता। मेरा पसंदीदा भोजन दूध-रोटी, ककड़ी, टमाटर, बिस्किट, टोस, आलू और मटर है। मैंने इस परिवार की सुरक्षा का भार अपने ऊपर ले लिया है। यदि कोई अनजान व्यक्ति घर की तरफ आता है या घर में घुसने का प्रयास करता है, तो मैं सजग हो जाता हूँ। मैं लोगों की शक्ल तथा व्यवहार देखकर उनकी सज्जनता का पता लगा लेता हूँ। मैं हमेशा चौकन्ना रहता हूँ। जरा-सी आवाज आने पर मेरे कान खड़े हो जाते हैं। मेरी सूँघने की शक्ति इतनी तेज है कि गंध का स्मरण करके मैं व्यक्ति को पहचान लेता हूँ।

     मेरे मालिक मुझसे बहुत प्यार करते हैं। त्याग, सहनशीलता, स्वामिभक्ति व नम्रता ये सभी गुण जन्म से मेरे स्वभाव में हैं। इन्हीं गुणों के कारण आज मेरी अलग पहचान है। मेरे मालिक के परिवार के साथ ही उनके मित्र व आस-पड़ोस के लोग भी मेरे इन्हीं गुणों व स्वभाव के कारण मेरी प्रशंसा करते नहीं थकते। मैं भी उनके मुख से स्वयं की प्रशंसा सुनकर गौरवान्वित महसूस करता हूँ। मैं अपने मालिक व इस परिवार से बहुत खुश हूँ, क्योंकि यहाँ मेरा पूरा ध्यान रखा जाता है।

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