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Chapter 22 - समता की ओर Balbharati solutions for Hindi - Lokbharati 10th Standard SSC Maharashtra State Board [हिंदी - लोकभारती १० वीं कक्षा]


Chapter 22 - समता की ओर Balbharati solutions for Hindi - Lokbharati 10th Standard SSC Maharashtra State Board [हिंदी - लोकभारती १० वीं कक्षा]

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Chapter 22 - समता की ओर Balbharati solutions for Hindi - Lokbharati 10th Standard SSC Maharashtra State Board [हिंदी - लोकभारती १० वीं कक्षा]


Chapter 2: समता की ओर

कृति पूर्ण कीजिए :


Chapter 22 - समता की ओर Balbharati solutions for Hindi - Lokbharati 10th Standard SSC Maharashtra State Board [हिंदी - लोकभारती १० वीं कक्षा]


SOLUTION

शिशिर ऋतु में हुए परिवर्तन

१) प्रकृति में - प्रकृति युक्तिहीन हो गई है

२) धरती पर - धरती पर कुंझटिका छाई हुई है



जीवन शैली में अंतर स्‍पष्‍ट कीजिए :


Chapter 22 - समता की ओर Balbharati solutions for Hindi - Lokbharati 10th Standard SSC Maharashtra State Board [हिंदी - लोकभारती १० वीं कक्षा]


SOLUTION

धनी

दीन-दरिद्र 

(i) वे रंगीन कीमती साल दुशाले ओढ़ते हैं

(ii) ये सुविधा-संपन्न मकानों में रहते हैं

(i) इनके काँपते हुए शरीर पर रोज पाला गिरता है ये टूटे-फूटे घरों में रहते हैं, जहाँ हमेशा उदासी छाई | रहती हैं



तालिका पूर्ण कीजिए :

Chapter 22 - समता की ओर Balbharati solutions for Hindi - Lokbharati 10th Standard SSC Maharashtra State Board [हिंदी - लोकभारती १० वीं कक्षा]


SOLUTION


ऋतुएँ

अंग्रेजी माह

हिंदी माह

1. वसंत

मार्च - अप्रैल

चैत्र-वैशाख

2. ग्रीष्म

मई - जून

ज्येष्ठ-आषाढ़

3. वर्षा

जुलाई - अगस्त

श्रावण - भाद्रपद

4. शरद

सितंबर - अक्टूबर

आश्विन - कार्तिक

5. हेमंत

नवंबर - दिसंबर

मार्गशीर्ष - पौष

6. शिशिर

जनवरी - फरवरी

माघ - फाल्गुन



निम्‍न मुद्दों के आधार पर पद्‌य विश्लेषण कीजिए :

  1. रचनाकार

  2. रचना का प्रकार

  3. पसंदीदा पंक्ति

  4. पसंदीदा होने का कारण

  5. रचना से प्राप्त संदेश



SOLUTION

  1. रचनाकार - मुकुटधर पांडेय।

  2. रचना का प्रकार - नई कविता।

  3. पसंदीदा पंक्ति - हमको भाई का करना उपकार नहीं क्या होगा, भाई पर भाई का कुछ अधिकार नहीं क्या होगा।

  4. पसंदीदा होने का कारण - जन्म से सभी मनुष्य एक जैसे हाते हैं, ऊँच-नीच, बड़ा-छोटा, धनवान-गरीब तो मनुष्य अपनी-अपनी उपलब्धियों से बनता है। मनुष्य का आपस में भाई-भाई का नाता है। प्रस्तुत पंक्तियों में कहा गया है कि मनुष्य में आपस में एक-दूसरे का उपकार करने की भावना होनी चाहिए।

  5. रचना से प्राप्त संदेश - इस रचना के द्वारा कवि ने मानवजाति को आपसी प्रेम व सौहार्द के साथ रहने और आवश्यकता पड़ने पर भाइयों की तरह एक-दूसरे की सहायता के लिए हमेशा तत्पर रहने का संदेश दिया है।



अंतिम दो पंक्‍तियों से मिलने वाला संदेश लिखिए।

हमको भाई का करना उपकार नहीं क्‍या होगा,

भाई पर भाई का कुछ अधिकार नहीं क्‍या होगा।



SOLUTION

कवि कहते हैं कि मनुष्य-मनुष्य में कोई अंतर नहीं होता। सभी का आपस में भाई-भाई का नाता है। एक भाई का दूसरे भाई पर कुछ-न-कुछ अधिकार होता है। इसलिए हमारे, मन में एक-दूसरे का उपकार करने की भावना होनी चाहिए।



‘विश्वबंधुता वर्तमान युग की माँग’ विषय पर अस्‍सी से सौ शब्‍दों में निबंध लिखिए।


SOLUTION

वैज्ञानिक प्रगति और उपलब्धियों के बल पर आज विश्व सिमटकर बहुत छोटा हो गया है। विभिन्न देशों के लोग आज एक-दूसरे के बहुत करीब आ गए हैं। किसी भी देश में कोई घटना होती है, तो उससे दूसरे देश भी प्रभावित होते हैं। आज लोगों का एक-दूसरे के देशों में आना-जाना और व्यापार व्यवहार बहुत सुलभ हो चुका है। लोगों में आपसी प्रेम-भाव भी बहुत है। पर कुछ शक्तियाँ ऐसी हैं, जिनके कारण लोगों के बीच वैसा सौमनस्य स्थापित नहीं हो पा रहा है, जैसा होना चाहिए। इसके कारण कई देशों में अशांति का वातावरण है।

आतंकवाद और युद्ध का भय उनमें से एक है। विश्व में लोगों में आपसी भाईचारे के प्रयास पहले भी होते रहे हैं और आज तो बहुत तेजी से जारी हैं। आज के युग में विश्वबंधुता की सबसे अधिक आवश्यकता है। आज विश्व विस्फोटकों के ढेर पर बैठा हुआ है। तरह-तरह के विनाशक अस्त्र-शस्त्रों का भय लोगों को सता रहा है, जिसकी चपेट में सारा विश्व आ सकता है। इसलिए आज सभी देशों के बीच आपसी प्रेम-भाव और सौहाय की अत्यधिक आवश्यकता है। इस बात को अब सभी देश समझने लगे हैं और इस दिशा में प्रयास भी शुरू हो गए हैं। विश्वबंधुता की भावना से ही विश्व में शांति और सौहार्द स्थापित हो सकता है।


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Balbharati Solutions for Hindi - Lokbharati 10th Standard SSC Maharashtra State Board [हिंदी - लोकभारती १० वीं कक्षा]

 • Chapter 1.01: भारत महिमा

 • Chapter 1.02: लक्ष्मी

 • Chapter 1.03: वाह रे ! हमदर्द

 • Chapter 1.04: मन (पूरक पठन)

 • Chapter 1.05: गोवा : जैसा मैंने देखा

 • Chapter 1.06: गिरिधर नागर

 • Chapter 1.07: खुला आकाश (पूरक पठन)

 • Chapter 1.08: गजल

 • Chapter 1.09: रीढ़ की हड्डी

 • Chapter 1.1: ठेस (पूरक पठन)

 • Chapter 1.11: कृषक का गान

 • Chapter 2.01: बरषहिं जलद

 • Chapter 2.02: दो लघुकथाएँ (पूरक पठन)

 • Chapter 2.03: श्रम साधना

 • Chapter 2.04: छापा

 • Chapter 2.05: ईमानदारी की प्रतिमूर्ति

 • Chapter 2.06: हम इस धरती की संतति हैं (पूरक पठन)

 • Chapter 2.07: महिला आश्रम

 • Chapter 2.08: अपनी गंध नहीं बेचूँगा

 • Chapter 2.09: जब तक जिंदा रहूँ, लिखता रहूँ

 • Chapter 2.1: बूढ़ी काकी (पूरक पठन)

 • Chapter 2.11: समता की ओर


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