Chapter 1 - प्रेरणा Balbharati solutions for Hindi - Yuvakbharati 11th Standard HSC Maharashtra State Board (New)

Chapter 1: प्रेरणा - Hindi Yuvakbharati 11th Standard Balbharti Solutions

Chapter 1: प्रेरणा

कारण लिखिए

माँ, मेरी आवाज सुनकर रोती है

SOLUTION

लेखक की फोन पर जब उनकी माँ से बात होती है, तो उनकीमाँ उसकी आवाज सुनकर रोती है।

बच्चों को माता-पिता का प्यार टुकड़ों में मिलता है

SOLUTION

पिता की आफिस में दिन की शिफ्ट होने के कारण वे अपने बच्चों से रात को मिलते हैं और माँ की आफिस में रात कीशिफ्ट होने के कारण वे अपने बच्चों से दिन में मिलती हैं। में इस तरह बच्चों को माता-पिता का प्यार टुकड़ों में मिलता है।

कवि की उम्र बढ़ती ही नहीं है

SOLUTION

कवि जब भी अपनी आँखों में देखते हैं, अपने आप को एक जितना भी उनकी देखरे

बच्चा-सा पाते हैं। इसलिए उन्हें लगता है कि उनकी उम्र होने से बच बढ़ती ही नहीं है।

लिखिए

Question Table Screenshot 1 SOLUTION Answer Table Screenshot 1

ममत्व का भाव प्रकट करने वाली कोई भी एक त्रिवेणी ढूँढ़कर उसका अर्थ लिखिए।

SOLUTION

त्रिवेणी

माँ मेरी बे-वजह ही रोती है।

फोन पर जब भी बात होती है।

फोन रखने पर मैं भी रोता हूँ।

निम्न पंक्तियों में से प्रतीकात्मक पंक्ति छाँटकर उसके स्पष्ट कीजिए –

(1) चलते-चलते जो कभी गिर जाओ।

(2) रात की कोख ही से सुबह जन्म लेती है।

(3) अपनी आँखों में जब भी देखा है।

SOLUTION

दी गई पंक्तियों में से प्रतीकात्मक पंक्ति :

'रात की कोख ही से सुबह जन्म लेती है।'

स्पष्टीकरण : कवि त्रिपुरारी जी ने प्रस्तुत पंक्ति में सुबह की जन्मदात्री के रूप में रात को महत्त्व प्रदान किया है। कवि कहतेहैं कि यदि रात न होती तो सुबह नहीं हो सकती थी। इस तरह उन्होंने सुबह की जन्मदात्री के रूप में रात को प्रतिपादित किया है। इसके लिए सुबह का जन्म रात की कोख से होना' जैसे प्रतीक का उपयोग किया है। जैसे माता की कोख से बालक का जन्म होता है, कवि ने ठीक उसी तरह रात की कोख से सुबह का जन्म होता हुआ दर्शाया है। इस तरह कवि ने सुबह के जन्म के लिए 'रात की कोख' जैसे सार्थक प्रतीक का प्रयोग किया है।

'पालनाघरकीआवश्यकता' पर अपने विचार लिखिए।

SOLUTION

पालनाघर आधुनिक युग की देन है। आज के जमाने में संयुक्त परिवार टूट चुके हैं और टूटते जा रहे हैं। आज का परिवार पति-पत्नी और बच्चे या बच्चों में सीमित हो गया है। शहरों में ऐसे पति-पत्नी के सामने अपने शिशुओं की देखभाल करने की समस्या खड़ी हो गई है, जिनमें से दोनों काम करते हों। काम पर चले जाने के बाद घर में बच्चों की देखभाल करने वाला कोई नहीं रह जाता। ऐसे लोगों को मजबूर होकर अपने छोटे बच्चों को पालना घर में रखना पड़ता है। आज इस समस्या से पीड़ित दंपतियों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। इसलिए नौकरीपेशा लोगों के बच्चों की देखभाल करने वालों के रूप में पालनाघर जरूरत बनते जा रहे हैं। इन पालना पालना घर में लोग अपने बच्चों को लेकर निश्चित होकर अपने काम पर जा सकते हैं। पालना घर में महिला-संरक्षिकाएँ इन बच्चों के खान-पान तथा मनोरंजन आदि की देखभाल करती हैं। पालनाघरों का कर्तव्य है कि वे बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार करें तथा समय-समय पर उनके नित्यकर्म, खाने-पीने तथा मनोरंजन की उचित व्यवस्था करें। पर कुछ पालना घर में बच्चों के साथ दुर्व्यवहार करने तथा उन्हें प्रताड़ित करने के भी समाचार मिलते हैं। इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है। पालनाघर समय की माँग है और अधिक से अधिक अच्छे पालनाघर खुलने चाहिए।

नौकरीपेशा अभिभावकों के बच्चों के पालन की समस्या पर प्रकाश डालिए।

SOLUTION

नौकरीपेशा अभिभावकों के सामने सबसे बड़ी समस्या समय की होती है। उन्हें अपना अधिकांश समय कार्य स्थल पर देना होता है। इसलिए चाह कर भी उनके लिए अपने बच्चों के लिए पर्याप्त समय निकालना संभव नहीं होता। ऐसी हालत में बचपन से लेकर बड़े होने तक ऐसे बच्चों को अपने माता-पिता का वैसा प्यार और मार्गदर्शन नहीं मिल पाता जैसा प्यार और मार्गदर्शन अन्य आम बच्चों को मिलता है। बचपन से लेकर बड़े होने तक इन बच्चों का संपर्क अपना देखरेख करने वाली आया, तरह-तरह के बच्चों और स्कूल को शिक्षकों से होता है। ऐसी हालत में कभी-कभी उनमें गलत आदतें पड़ने, गलत लोगों के संपर्क में आने, स्वभाव चिड़चिड़ा होने, अभिभावकों से विद्रोह करने, भलीभाँति पढ़ाई न हो पाने, बुरी लत का शिकार होने तथा निरंकुश होने जैसी बुराइयाँ आने की संभावना होती है। इसलिए नौकरीपेशा अभिभावकों को जितना भी समय मिले, उसे अपने बच्चों के लालन-पालन तथा उनकी देखरेख में लगाना चाहिए और उन्हें बुरी आदतों का शिकार होने से बचाना चाहिए। रसास्वादन

आधुनिक जीवन शैली के कारण निर्मि त समस्याओं से जूझने की प्रेरणा इन त्रिवेणियों से मिल ती है, स्पष्ट कीजि ए ।

SOLUTION

त्रिपुरारि जी की त्रिवेणी नामक नए काव्य प्रकार में लिखी हई प्रेरणा' शीर्षक कविता में सीधे-सादे शब्दों में अत्यंत प्रभावशाली ढंग से आधुनिक जीवन शैली के कारण निर्मित समस्याओं से दृढ़ता पूर्वक लड़ने की प्रेरणा मिलती है। आधुनिक जीवन शैली में बिछोह एक प्रमुख समस्या है। शिक्षा के विकास के कारण समाज में शिक्षित युवक-युवतियों की निरंतर वृद्धि हो रही है। इसलिए शिक्षित युवक-युवतियों को जहाँ भी नौकरी मिलती है, उन्हें घर छोड़कर वहाँ जाना पड़ता है। इसमें माता-पिता तथा इन युवक-युवतियों को बिछोह का दुख सहना पड़ता है। प्रस्तुत काव्य में इस बिछोह के दुख और उससे जूझने का सुंदर चित्रण किया गया है। माँ से दूर रहने वाला नौकरीपेशा बेटा अपनी माँ को जब फोन करता है, तो माँ कुछ बोलने के बजाय रोने लगती है। हालांकि रोने का कोई कारण नहीं होता, पर उसकी सिसकियाँ रुकती नहीं हैं। बाद में बेटा भी रोए बिना नहीं रहता पर वह इस समस्या का सामना करता है और बिछोह का दुख भुला देता है। पास होते हुए भी माता-पिता की आफिस में अलग-अलग शिफ्ट होने के कारण उन्हें बच्चों से एक साथ न मिल पाने का दुख सहना पड़ता है। पर इससे वे निराश नहीं होते और इस स्थिति को स्वीकार करके उनका हल निकालने का प्रयास करते हैं। जीवन-यात्रा में ठोकरें खाना आम बात है। पर ठोकर खाकर गिरने के बाद उठकर आगे बढ़ते रहने वाले को ही मंजिल मिलती है। कहा भी गया है - सुर्खरू - होता है इंसां ठोकरें खाने के बाद 'गिर जाओ, खुद को सँभालो और फिर से चलो' पंक्ति से आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा मिलती है। इसी तरह कवि बुरे दिन आने पर निराश न होने का आवाहन करते हैं। बुरे दिनों के बाद अच्छे दिन भी आते हैं – 'रात की कोख ही से सुबह जनम लेती है।' पंक्ति में इसी की प्रेरणा मिलती है। जीवन में मुश्किलें आना स्वाभाविक है। पर इनसे घबराना नहीं चाहिए। कवि उम्मीदों के सहारे कठिनाइयों का सामना करने की प्रेरणा देते हैं। इस प्रकार इन त्रिवेणियों से आधुनिक जीवनशैली के कारण निर्मित समस्याओं से जूझने की प्रेरणा मिलती है।

जानकारी दीजिए:

त्रिवेणी काव्य प्रकार की विशेषताएँ:

(१) ____________

(२) ____________

SOLUTION

(1) त्रिवेणी तीन पंक्तियों का मुक्त छंद है, जिसमें कल्पना तथा यथार्थ की अभिव्यक्ति होती है।

(2) त्रिवेणी की पहली और दूसरी पंक्ति में भाव और विचार तथा और तीसरी पंक्ति में पहली दो पंक्तियों में छिपा भाव व्यक्त होता है।

जानकारी दीजिए:

त्रिपुरारि जी की अन्य रचनाएँ - __________________

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त्रिपुरारि जी की अन्य रचनाएँ निम्नलिखित हैं :

  • (1) नींद की नदी (कविता संग्रह)
  • (2) नॉर्थ कैंपस (कहानी संग्रह)
  • (3) साँस के सिक्के (त्रिवेणी संग्रह)
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