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HSC 12th Economics Question Paper Solution 2024 Maharashtra Board Hindi Medium

HSC Economics Question Paper Solution 2024 (Maharashtra Board)
HSC Board Exam Paper

ECONOMICS (49) - 2024 Solution

Maharashtra State Board - HSC Class 12

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प्र. 1. (अ) निम्नलिखित विधान पूर्ण कीजिए : [5]
(i) व्यष्टि अर्थशास्त्र विश्लेषण में प्रयोग की जानेवाली पद्धति (विधि) :
  • (अ) राशि पद्धति
  • (ब) समग्र पद्धति
  • (क) विभाजन पद्धति
  • (ड) सर्वसमावेशी पद्धति

विकल्प- (1) अ, क, ड (2) ब, क, ड (3) सिर्फ क (4) सिर्फ अ

उत्तर: (3) सिर्फ क (विभाजन पद्धति)
(ii) असंगठित मुद्राबाज़ार में निम्नांकित घटक कार्य करते हैं:
  • (अ) साहूकार
  • (ब) वाणिज्यिक बैंक
  • (क) हुण्डियाँ
  • (ड) चिटफंड

विकल्प- (1) अ, ब, क (2) ब, क (3) ब, ड (4) अ, क, ड

उत्तर: (4) अ, क, ड
(नोट: वाणिज्यिक बैंक संगठित क्षेत्र का हिस्सा है।)
(iii) सरकार के ऐच्छिक कार्य में इन कार्यों का समावेश होता है:
  • (अ) विदेशी आक्रमण से सुरक्षा
  • (ब) शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएँ
  • (क) सामाजिक सुरक्षा के उपाय
  • (ड) कर संकलन

विकल्प- (1) ब, क (2) अ, ब, क (3) ब, क, ड (4) सभी

उत्तर: (1) ब, क
(सुरक्षा और कर संकलन अनिवार्य कार्य हैं।)
(iv) निम्नलिखित विधानों से सूचकांक/निर्देशांक का महत्त्व खोजिए:
  • (अ) भविष्यकाल का पूर्वानुमान करने के लिए उपयोगी निर्देशांक
  • (ब) मूल्यवृद्धि का मापन करने के लिए उपयोगी निर्देशांक
  • (क) उचित नीतियों का निर्धारण करने के लिए उपयोगी निर्देशांक
  • (ड) निर्देशांक का प्रयोग गलत कार्यों के लिए किया जा सकता है

विकल्प- (1) ब, क, ड (2) अ, ब, क (3) अ, ब, ड (4) अ, क, ड

उत्तर: (2) अ, ब, क
(v) ब्लड बैंक [Blood Bank] निम्न का उदाहरण है:
  • (अ) स्थान उपयोगिता
  • (ब) ज्ञान उपयोगिता
  • (क) सेवा उपयोगिता
  • (ड) समय उपयोगिता

विकल्प- (1) अ, ब, क (2) ब, क, ड (3) अ, ब, ड (4) सिर्फ ड

उत्तर: (4) सिर्फ ड (समय उपयोगिता)

Economics Board Questions with Solution

प्र. 1. (ब) असंगत शब्द पहचानिए: [5]
(i) माँग के प्रकार -

प्रत्यक्ष माँग, परोक्ष/अप्रत्यक्ष माँग, संयुक्त माँग, बाजार माँग

उत्तर: बाजार माँग
(अन्य सभी मांग के वर्गीकरण के प्रकार हैं, जबकि बाजार मांग एक व्यापक अवधारणा है।)
(ii) राष्ट्रीय आय की विशेषताएँ -

आर्थिक वर्ष, मुद्रा में व्यक्त किया गया मूल्य, स्थायी अवधारणा, प्रवाही अवधारणा

उत्तर: स्थायी अवधारणा
(राष्ट्रीय आय एक प्रवाही अवधारणा है, स्थायी (Stock) नहीं।)
(iii) बजट के प्रकार -

घाटे का बजट, शून्याधारित बजट, संतुलित बजट, बचत का बजट

उत्तर: शून्याधारित बजट
(अन्य सभी बजट संतुलन की स्थिति दर्शाते हैं, जबकि शून्याधारित एक तकनीक है।)
(iv) कानूनी एकाधिकार -

पेटेंट, ओपेक (OPEC), अधिकार, ट्रेडमार्क

उत्तर: ओपेक (OPEC)
(OPEC एक अंतर्राष्ट्रीय कार्टेल है, कानूनी एकाधिकार नहीं।)
(v) वित्तीय परिसम्पत्तियाँ -

बंधपत्र (bonds), भूमि, सरकारी प्रतिभूतियाँ, व्युत्पन्न बंधपत्र

उत्तर: भूमि
(भूमि एक वास्तविक संपत्ति है, बाकी वित्तीय संपत्तियां हैं।)
प्र. 1. (क) आर्थिक/अर्थशास्त्रीय पारिभाषिक शब्द लिखिए : [5]
(i) कीमत स्थिर होते हुए अन्य कारकों में अनुकूल परिवर्तन के परिणामस्वरूप माँग में वृद्धि होना।
उत्तर: माँग में वृद्धि (Increase in Demand)
(ii) माँग के अनुसार खाते से राशि निकाली जानेवाली जमाएँ।
उत्तर: माँग जमाएँ (Demand Deposits)
(iii) एक ही वस्तु और सेवाओं की अलग-अलग ग्राहकों को अलग-अलग कीमत निश्चित करना।
उत्तर: मूल्य विभेद / कीमत विभेद (Price Discrimination)
(iv) एक से अधिक इकाई का उत्पादन करने के पश्चात् कुल खर्च में होनेवाली शुद्ध वृद्धि।
उत्तर: सीमांत लागत (Marginal Cost)
(v) सिर्फ आय के परिवर्तन के परिणामस्वरूप अर्थात् माँग में होनेवाला परिवर्तन।
उत्तर: माँग की आय लोच (Income Elasticity of Demand)
प्र. 1. (ड) सहसंबंध पूर्ण कीजिए : [5]
(i) सामान्य संतुलन : समष्टि अर्थशास्त्र : :      : व्यष्टि अर्थशास्त्र
उत्तर: आंशिक संतुलन (Partial Equilibrium)
(ii) उत्पादन पद्धति :      : : आय पद्धति : साधन/घटक पद्धति
उत्तर: मालसूची पद्धति / आउटपुट पद्धति (Inventory Method / Output Method)
(iii) रूप उपयोगिता : फर्नीचर : :      : डॉक्टर
उत्तर: सेवा उपयोगिता (Service Utility)
(iv) पूर्णतया लोचदार माँग : Ed = ∞ : :      : Ed = 0
उत्तर: पूर्णतया बेलोचदार माँग (Perfectly Inelastic Demand)
(v)      : पूर्ति में परिवर्तन : : अन्य कारक स्थिर : पूर्ति में विचलन
उत्तर: कीमत स्थिर (Price Constant)
प्र. 2. (अ) निम्नलिखित उदाहरणों की सहायता से अवधारणा पहचानकर उसे स्पष्ट कीजिए (कोई तीन): [6]
(i) मनीषा ने कॉपी पेन का प्रयोग करके निबंध लेखन की आवश्यकता पूर्ण की।

अवधारणा: उपयोगिता (Utility)

स्पष्टीकरण: वस्तु में मानवीय आवश्यकता को संतुष्ट करने की जो क्षमता होती है, उसे उपयोगिता कहते हैं। यहाँ पेन और कॉपी मनीषा की लिखने की आवश्यकता को पूरा कर रहे हैं।

(ii) रघु के पिताजी उनके पैसे देश में और देश के बाहर संयुक्त शेयर और कर्ज (ऋण) ऐसे दोनों दीर्घकालीन फंड में बाज़ार में निवेश करते हैं।

अवधारणा: विदेशी निवेश / पोर्टफोलियो निवेश (Foreign Investment)

स्पष्टीकरण: जब कोई व्यक्ति या संस्था अपने देश की सीमाओं के बाहर वित्तीय परिसंपत्तियों (जैसे शेयर या बांड) में निवेश करती है, तो इसे विदेशी निवेश कहा जाता है।

(iii) कोरोना महामारी के काल में मास्क का प्रयोग अनिवार्य करने से मास्क तैयार करने वाले श्रमिकों की माँग बढ़ गई।

अवधारणा: व्युत्पन्न माँग (Derived Demand) / माँग में वृद्धि (Increase in Demand)

स्पष्टीकरण: जब किसी वस्तु (श्रमिक) की माँग, अंतिम वस्तु (मास्क) की माँग बढ़ने के कारण बढ़ती है, तो उसे व्युत्पन्न माँग कहते हैं। साथ ही, यह अन्य कारकों के कारण माँग वक्र का खिसकना भी दर्शाता है।

(iv) महाराष्ट्र ने पंजाब से गेहूँ खरीदा।

अवधारणा: आंतरिक व्यापार (Internal Trade)

स्पष्टीकरण: देश की सीमाओं के भीतर, दो अलग-अलग राज्यों या क्षेत्रों के बीच होने वाले वस्तुओं और सेवाओं के क्रय-विक्रय को आंतरिक या घरेलू व्यापार कहते हैं।

(v) जागृति को राज्य सरकार से प्रतिमाह ₹ 5,000 पेन्शन प्राप्त होती है।

अवधारणा: हस्तांतरण भुगतान (Transfer Payment)

स्पष्टीकरण: यह सरकार द्वारा व्यक्तियों को किया गया एक तरफा भुगतान है जिसके बदले में कोई उत्पादक सेवा प्राप्त नहीं होती। जैसे पेंशन, बेरोजगारी भत्ता।

प्र. 2. (ब) अंतर स्पष्ट कीजिए (कोई तीन) : [6]
(i) आवर्ती जमाएँ (Recurring Deposit) एवं सावधि जमाएँ (Fixed Deposit)
  • आवर्ती जमा: इसमें ग्राहक एक निश्चित अवधि के लिए हर महीने एक निश्चित राशि जमा करता है। यह छोटे बचतकर्ताओं को प्रोत्साहित करता है।
  • सावधि जमा: इसमें एकमुश्त राशि एक निश्चित अवधि के लिए जमा की जाती है। इसमें ब्याज दर आवर्ती जमा की तुलना में सामान्यतः अधिक होती है।
(ii) कुल उपयोगिता (Total Utility) एवं सीमांत उपयोगिता (Marginal Utility)
  • कुल उपयोगिता: उपभोग की गई वस्तु की सभी इकाइयों से प्राप्त उपयोगिताओं का कुल योग कुल उपयोगिता कहलाता है। (TU = ΣMU)
  • सीमांत उपयोगिता: वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के उपभोग से कुल उपयोगिता में होने वाली शुद्ध वृद्धि को सीमांत उपयोगिता कहते हैं।
(iii) पूर्णतया लोचदार माँग एवं पूर्णतया बेलोचदार माँग
  • पूर्णतया लोचदार माँग (Ed = ∞): जब कीमत में नगण्य या शून्य परिवर्तन होने पर माँग में अनंत परिवर्तन होता है। माँग वक्र क्षैतिज (X-अक्ष के समांतर) होता है।
  • पूर्णतया बेलोचदार माँग (Ed = 0): जब कीमत में कितना भी परिवर्तन हो, लेकिन माँग में कोई परिवर्तन नहीं होता। माँग वक्र लंबवत (Y-अक्ष के समांतर) होता है।
(iv) कीमत निर्देशांक एवं संख्यात्मक निर्देशांक
  • कीमत निर्देशांक: यह किसी निश्चित अवधि में वस्तुओं की कीमतों में होने वाले सामान्य परिवर्तनों को मापता है।
  • संख्यात्मक निर्देशांक: इसे मात्रा निर्देशांक भी कहते हैं। यह अर्थव्यवस्था में उत्पादन की मात्रा या भौतिक मात्रा में होने वाले परिवर्तनों को मापता है।
(v) अंतर्गत ऋण एवं बाह्य ऋण
  • अंतर्गत ऋण: जब सरकार अपने देश के नागरिकों, बैंकों या संस्थाओं से देश की सीमाओं के भीतर ऋण लेती है।
  • बाह्य ऋण: जब सरकार विदेशी सरकारों, विदेशी बैंकों या अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं (जैसे IMF, World Bank) से ऋण लेती है।
प्र. 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए (कोई तीन) : [12]
(i) माँग के कोई चार प्रकार स्पष्ट कीजिए।

माँग के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:

  1. प्रत्यक्ष माँग (Direct Demand): जब वस्तुओं की माँग सीधे उपभोक्ताओं द्वारा अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए की जाती है। जैसे - भोजन, कपड़े।
  2. अप्रत्यक्ष माँग (Indirect Demand): इसे व्युत्पन्न माँग भी कहते हैं। यह उत्पादन के साधनों की माँग है जो अंतिम वस्तु के उत्पादन के लिए आवश्यक होती है। जैसे - कारखाने में मजदूरों की माँग।
  3. पूरक या संयुक्त माँग (Joint Demand): जब एक ही आवश्यकता को पूरा करने के लिए दो या दो से अधिक वस्तुओं की एक साथ माँग की जाती है। जैसे - कार और पेट्रोल, पेन और स्याही।
  4. सम्मिश्र माँग (Composite Demand): जब एक ही वस्तु का प्रयोग कई उद्देश्यों के लिए किया जाता है। जैसे - बिजली की माँग (प्रकाश, पंखा, एसी आदि के लिए)।
(ii) भारत में पूँजी बाजार की कोई चार समस्याएँ स्पष्ट कीजिए।
  1. वित्तीय घोटालों का भय: आए दिन होने वाले वित्तीय घोटालों के कारण निवेशकों का विश्वास कम हो जाता है।
  2. अपर्याप्त ऋण साधन: भारतीय पूँजी बाजार में ऋण साधनों (Debt Instruments) की कमी है, जिससे निवेशकों के पास विकल्प सीमित होते हैं।
  3. बाजार का संकुचित दायरा: पूँजी बाजार मुख्य रूप से बड़े शहरों तक ही सीमित है, ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी पहुँच बहुत कम है।
  4. सूचना की कमी: कई बार कंपनियों द्वारा दी जाने वाली जानकारी अपर्याप्त या भ्रामक होती है, जिससे सही निवेश निर्णय लेने में कठिनाई होती है।
(iii) उपयोगिता की कोई चार विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  1. सापेक्षिक अवधारणा: उपयोगिता समय और स्थान के अनुसार बदलती रहती है। (जैसे - गर्मियों में ऊनी कपड़ों की कम उपयोगिता)।
  2. व्यक्तिपरक अवधारणा: यह व्यक्ति दर व्यक्ति भिन्न होती है। एक ही वस्तु की उपयोगिता दो अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग हो सकती है।
  3. नैतिक रूप से तटस्थ: उपयोगिता अच्छे और बुरे में भेद नहीं करती। (जैसे - चाकू का उपयोग सब्जी काटने या किसी को नुकसान पहुँचाने दोनों में हो सकता है)।
  4. उपयोगिता और आनंद में अंतर: जरूरी नहीं कि जिस वस्तु में उपयोगिता हो, उससे आनंद भी मिले। (जैसे - कड़वी दवाई या इंजेक्शन)।
(iv) सार्वजनिक व्यय में वृद्धि होने के कोई चार कारण स्पष्ट कीजिए।
  1. शासन कार्यों में वृद्धि: आधुनिक राज्य 'कल्याणकारी राज्य' है, इसलिए सुरक्षा और प्रशासन के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य आदि पर भी खर्च करना पड़ता है।
  2. जनसंख्या में वृद्धि: बढ़ती जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकार को अधिक संसाधन खर्च करने पड़ते हैं।
  3. शहरीकरण: शहरों के विस्तार के कारण बिजली, पानी, सड़क, परिवहन जैसी बुनियादी सुविधाओं पर व्यय बढ़ गया है।
  4. लोकतंत्र का प्रसार: लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव कराने और लोकतांत्रिक संस्थाओं को बनाए रखने में भारी खर्च होता है।
(v) समष्टि अर्थशास्त्र की कोई चार विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  1. समग्र का अध्ययन: यह पूरी अर्थव्यवस्था का एक साथ अध्ययन करता है, न कि व्यक्तिगत इकाइयों का। (जैसे - राष्ट्रीय आय, कुल रोजगार)।
  2. राशि पद्धति: यह 'स्लाइसिंग' के बजाय 'लम्पिंग' (समूह) पद्धति का उपयोग करता है।
  3. सामान्य संतुलन विश्लेषण: यह पूरी अर्थव्यवस्था के संतुलन से संबंधित है, जहाँ सभी चरों की परस्पर निर्भरता का अध्ययन किया जाता है।
  4. परस्पर निर्भरता: समष्टि आर्थिक चर (जैसे आय, उत्पादन, रोजगार) एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं।
प्र. 4. निम्नलिखित विधानों से आप सहमत हैं या असहमत हैं, कारण सहित स्पष्ट कीजिए (कोई तीन) : [12]
(i) पिछले 75 वर्षों के दौरान भारत के विदेशी व्यापार की संरचना और दिशा में पूर्ण परिवर्तन हुआ।

मत: मैं इस विधान से सहमत हूँ।

कारण:

  • स्वतंत्रता से पहले भारत मुख्य रूप से कच्चे माल का निर्यातक और तैयार माल का आयातक था।
  • पिछले 75 वर्षों में, भारत अब तैयार माल, इंजीनियरिंग सामान, और सॉफ्टवेयर सेवाओं का बड़ा निर्यातक बन गया है।
  • व्यापार की दिशा भी बदली है; पहले व्यापार मुख्य रूप से ब्रिटेन के साथ था, अब अमेरिका, चीन, यूएई और अन्य एशियाई देशों के साथ व्यापार बढ़ा है।
(ii) समष्टि अर्थशास्त्र यह व्यष्टि अर्थशास्त्र से भिन्न है।

मत: मैं इस विधान से सहमत हूँ।

कारण:

  • व्यष्टि अर्थशास्त्र व्यक्तिगत इकाइयों (जैसे एक उपभोक्ता, एक फर्म) का अध्ययन करता है, जबकि समष्टि अर्थशास्त्र पूरी अर्थव्यवस्था (जैसे राष्ट्रीय आय) का अध्ययन करता है।
  • व्यष्टि अर्थशास्त्र 'विभाजन पद्धति' का उपयोग करता है, जबकि समष्टि अर्थशास्त्र 'राशि पद्धति' का।
  • व्यष्टि अर्थशास्त्र का मुख्य यंत्र 'कीमत सिद्धांत' है, जबकि समष्टि का 'आय और रोजगार सिद्धांत' है।
(iii) कीमतकर्ता एकाधिकार बाज़ार की एकमात्र विशेषता है।

मत: मैं इस विधान से असहमत हूँ।

कारण:

  • हालाँकि 'कीमतकर्ता' (Price Maker) एकाधिकार की एक मुख्य विशेषता है, लेकिन यह 'एकमात्र' विशेषता नहीं है।
  • अन्य विशेषताएँ भी हैं जैसे: अकेला विक्रेता, निकट स्थानापन्न वस्तुओं का अभाव, फर्मों के प्रवेश पर प्रतिबंध, और मूल्य विभेद की संभावना।
  • इसलिए, केवल कीमत निर्धारण ही इसकी पहचान नहीं है।
(iv) गैर-कर आय के कई स्रोत हैं।

मत: मैं इस विधान से सहमत हूँ।

कारण:

  • सरकार को करों के अलावा भी कई अन्य स्रोतों से आय प्राप्त होती है।
  • इनमें शुल्क (Fees), जुर्माना (Fines), विशेष कर (Special Assessment), उपहार और अनुदान (Grants), तथा सार्वजनिक उपक्रमों से प्राप्त लाभ शामिल हैं।
  • यह आय सरकार के कुल राजस्व का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
(v) निर्देशांक के विभिन्न प्रकार हैं।

मत: मैं इस विधान से सहमत हूँ।

कारण:

  • निर्देशांकों को उनके उद्देश्य के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है।
  • प्रमुख प्रकार हैं: कीमत निर्देशांक (Price Index), मात्रा निर्देशांक (Quantity Index), मूल्य निर्देशांक (Value Index)।
  • इसके अलावा विशेष उद्देश्य निर्देशांक भी होते हैं जैसे शेयर बाजार सूचकांक, आयात-निर्यात निर्देशांक आदि।
प्र. 5. निम्नलिखित तालिका, रेखाचित्र, परिच्छेद का अध्ययन करके पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए (कोई दो) : [8]
(i) निम्नांकित तालिका की सहायता से प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
वस्तु 2006 की कीमत (₹)
(\(P_0\)) (आधार वर्ष)
2019 की कीमत (₹)
(\(P_1\)) (चालू वर्ष)
2030
3045
4060
5075
6090

(1) कीमत निर्देशांक ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।

सूत्र: \( P_{01} = \frac{\Sigma P_1}{\Sigma P_0} \times 100 \)


(2) \(\Sigma P_0\) और \(\Sigma P_1\) की कीमत ज्ञात कीजिए।

\(\Sigma P_0 = 20 + 30 + 40 + 50 + 60 = 200\)

\(\Sigma P_1 = 30 + 45 + 60 + 75 + 90 = 300\)


(3) कीमत निर्देशांक (\(P_{01}\)) ज्ञात कीजिए।

\( P_{01} = \frac{300}{200} \times 100 = 1.5 \times 100 = 150 \)

(ii) निम्नांकित रेखाचित्र का निरीक्षण कीजिए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
Demand Shift Diagram Placeholder

(1) दायीं ओर स्थानांतरित होने वाला माँग वक्र: माँग में वृद्धि (Increase in Demand)

(2) बायीं ओर स्थानांतरित होने वाला माँग वक्र: माँग में कमी (Decrease in Demand)

(3) वस्तु की कीमत: स्थिर (Constant)

(4) माँग में वृद्धि एवं कमी इस ------ अवधारणा के अंतर्गत आती है: माँग में परिवर्तन (Change in Demand)

(iii) निम्नलिखित परिच्छेद पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(परिच्छेद का सारांश: बाजार एक विशिष्ट स्थान नहीं बल्कि एक व्यवस्था है जहाँ क्रेता-विक्रेता लेन-देन करते हैं। बाजार का वर्गीकरण स्थान, समय और प्रतियोगिता के आधार पर होता है। एकाधिकार युक्त प्रतियोगिता में विक्रय लागत (विज्ञापन आदि) महत्वपूर्ण होती है।)

(1) अर्थशास्त्रीय दृष्टि से बाज़ार की परिभाषा लिखिए।

उत्तर: अर्थशास्त्रीय दृष्टि से बाज़ार एक विशिष्ट स्थान न होकर एक ऐसी व्यवस्था है जिसके द्वारा क्रेता और विक्रेता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी वस्तुओं का लेन-देन करते हैं।


(2) बाज़ार का वर्गीकरण कैसे किया जाता है? लिखिए।

उत्तर: बाज़ार का वर्गीकरण स्थान, समय, और प्रतियोगिता के अनुसार किया जाता है।


(3) बिक्री व्यय के बारे में अपने विचार लिखिए।

उत्तर: एकाधिकार युक्त प्रतियोगिता में बिक्री व्यय (Selling Cost) अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह उत्पाद की माँग बढ़ाने और बिक्री बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसमें विज्ञापन, होर्डिंग, विंडो डिस्प्ले आदि शामिल हैं। यह गैर-कीमत प्रतियोगिता का एक मुख्य साधन है।

प्र. 6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए (कोई दो) : [16]
(i) माँग की लोच की अवधारणा स्पष्ट करके माँग की आय लोच के प्रकार स्पष्ट कीजिए।

माँग की लोच (Elasticity of Demand): कीमत और अन्य कारकों में परिवर्तन के फलस्वरूप माँग की मात्रा में होने वाले परिवर्तन की तीव्रता या प्रतिक्रिया की माप को माँग की लोच कहते हैं।

माँग की आय लोच (Income Elasticity of Demand): "अन्य बातें समान रहने पर, उपभोक्ता की आय में परिवर्तन के परिणामस्वरूप माँग में होने वाले परिवर्तन के अनुपात को माँग की आय लोच कहते हैं।"

माँग की आय लोच के प्रकार:

  1. धनात्मक आय लोच: जब आय बढ़ने पर माँग बढ़ती है और आय घटने पर माँग घटती है। (सामान्य वस्तुएँ)।
    • इकाई से अधिक (विलासिता की वस्तुएँ)
    • इकाई से कम (आवश्यक वस्तुएँ)
    • इकाई के बराबर
  2. ऋणात्मक आय लोच: जब आय बढ़ने पर माँग घटती है। (घटिया या गिफिन वस्तुएँ)।
  3. शून्य आय लोच: जब आय में परिवर्तन का माँग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। (अत्यंत अनिवार्य वस्तुएँ जैसे नमक)।
(ii) राष्ट्रीय आय की अवधारणा स्पष्ट करके राष्ट्रीय आय की गणना में आनेवाली व्यावहारिक कठिनाइयाँ स्पष्ट कीजिए।

राष्ट्रीय आय (National Income): एक वित्तीय वर्ष में देश में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के शुद्ध मौद्रिक मूल्य को राष्ट्रीय आय कहते हैं।

व्यावहारिक कठिनाइयाँ:

  1. दोहरी गणना की समस्या: किसी वस्तु के मूल्य को एक से अधिक बार गिनने का जोखिम (जैसे गन्ने और चीनी दोनों का मूल्य जोड़ना)।
  2. अमौद्रिक क्षेत्र: भारत जैसे देशों में ग्रामीण क्षेत्रों में वस्तु विनिमय प्रणाली और स्वयं के उपभोग के लिए उत्पादन होता है, जिसका मौद्रिक मूल्य मापना कठिन है।
  3. अपर्याप्त और अविश्वसनीय आँकड़े: असंगठित क्षेत्र, छोटे व्यापारियों और कृषकों से सही डेटा प्राप्त करना मुश्किल होता है।
  4. मूल्यह्रास का अनुमान: पूंजीगत संपत्तियों की घिसाई (Depreciation) का सही अनुमान लगाना कठिन है क्योंकि अलग-अलग संपत्तियों की दरें अलग होती हैं।
  5. पूंजीगत लाभ या हानि: संपत्ति के मूल्यों में परिवर्तन को राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता, जिससे गणना जटिल हो जाती है।
(iii) पूर्ति का नियम उसकी मान्यताओं द्वारा स्पष्ट कीजिए।

पूर्ति का नियम (Law of Supply): "अन्य बातें समान रहने पर, वस्तु की कीमत अधिक होने पर पूर्ति की मात्रा अधिक होती है और कीमत कम होने पर पूर्ति की मात्रा कम होती है।" (कीमत और पूर्ति में प्रत्यक्ष संबंध होता है)।

मान्यताएँ (Assumptions):

  1. उत्पादन लागत स्थिर: यह माना जाता है कि उत्पादन के साधनों की कीमतों में कोई बदलाव नहीं होता।
  2. उत्पादन तकनीक स्थिर: तकनीक में कोई सुधार या बदलाव नहीं होना चाहिए।
  3. मौसम में परिवर्तन नहीं: कृषि उत्पादों के मामले में मौसम अनुकूल और स्थिर रहना चाहिए।
  4. सरकारी नीतियाँ स्थिर: कर और सब्सिडी की नीतियों में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए।
  5. परिवहन लागत स्थिर: परिवहन सुविधाओं और लागत में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
  6. भविष्य की कीमतों की प्रत्याशा नहीं: विक्रेता को भविष्य में कीमतों में बदलाव की उम्मीद नहीं होनी चाहिए।

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