विकारी शब्द के चार भेद हैं, जो इस प्रकार हैं :
संज्ञा (Noun)
परिभाषा : जो शब्द व्यक्ति, वस्तु, जाति, स्थान, गुण या भाव आदि का नाम सूचित करता है, उसे संज्ञा कहते हैं।
उदा. (i) गंगा यह पवित्र नदी है।
(ii) ज्ञानेश्वर के पास एक पुस्तक है।
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संज्ञा के पाँच भेद
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(१) व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun)
परिभाषा : जिस संज्ञा से किसी विशेष व्यक्ति, प्राणी, वस्तु या स्थान आदि के नाम का बोध होता है, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।
उदा. (i) रामू यह गठरी देखना ।
(ii) हमने हिंदी में बातचीत की है।
(iii) ज्ञानबाबू के मुख पर विजय का आनद था।
(iv) जाली अल्सेशियन नस्ल का कुत्ता था ।
उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित शब्द किसी न किसी विशेष व्यक्ति, प्राणी या भाषा के नाम हैं। अत: वे व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ हैं।
(२) जातिवाचक संज्ञा (Common Noun)
परिभाषा : जिस संज्ञा से अपने पूरे वर्ग या पूरी जाति का बोध होता है, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
उदा. (i) नौकर बाहर गया है।
(ii) वहाँ एक अध्यापक बैठा हआ था।
(iii) पक्षी हवा में उड़ रहे हैं।
(iv) घोडा बेचारा कर ही क्या सकता था?
उपर्युक्त रेखांकित संज्ञाओं में से प्रत्येक संज्ञा अपने वर्ग या अपनी पूरी जाति को सूचित करती है, अत: ये जातिवाचक संज्ञाएँ हैं।
(३) भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun)
परिभाषा : जिस संज्ञा से किसी वस्तु या व्यक्ति के गुण, भाव या दशा का बोध होता है, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
उदा. (i) बुढ़ापे के कारण वह चल नहीं सकता
(ii) भगत जी को क्रोध आ गया ।
(iii) सूदन ईमानदारी से काम करता है ।
(iv) तू अभिमान करना छोड़ दे।
उपर्युक्त वाक्यों में रेखांकित शब्द किसी न किसी भाव, गुण, अवस्था का बोध कर रहे हैं। अत: ये भाववाचक संज्ञाएँ हैं ।
सूचना - भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण मुख्यत: जातिवाचक संज्ञा, विशेषण तथा क्रियाओं में प्रत्यय लगाकर होता है।
जैसे - नौकर - नौकरी, लड़ना - लड़ाई, बच्चा - बचपन, लिखना - लिखाई आदि।