HINDI (15) (REVISED COURSE) - N 817
2025 Solved Question Paper | Max. Marks: 80 | Time: 3 Hours
विभाग 1 - गद्य : 20 अंक
| आँख | पैर/टाँग |
| आत्मा | परमात्मा |
- ऐक्सिडेंट
- प्राइवेट वार्ड
- फ्रैक्चर
- स्टैंड
- (1) रुग्णालय - अस्पताल
- (2) शक्ल - चेहरा
सार्वजनिक अस्पताल गरीबों और जरूरतमंदों के लिए एक वरदान हैं, लेकिन उनकी स्थिति अक्सर चिंताजनक होती है। यहाँ संसाधनों की कमी, अत्यधिक भीड़ और साफ-सफाई का अभाव जैसी समस्याएँ आम हैं। इसके बावजूद, वहाँ के डॉक्टर और कर्मचारी सीमित साधनों में भी लोगों की सेवा करने का सराहनीय प्रयास करते हैं। सरकार को इनकी स्थिति सुधारने पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
लेखक ने चाभी माँगकर ड्राइवर से कहा:
| बाबू जी के रहते | बाबू जी के न रहते |
|---|---|
| लेखक ने कोई अभाव नहीं देखा। | लेखक को बैंक की नौकरी करनी पड़ी। |
- (i) लेखक यह कल्पना किया करते थे - कि हमारे पास छोटी नहीं, बड़ी आलीशान गाड़ी होनी चाहिए।
- (ii) लेखक के जन्म के समय बाबू जी उत्तर प्रदेश में - पुलिस मंत्री थे।
- देख-देख
- सोचते-विचारते
- धीरे-धीरे
'सादा जीवन, उच्च विचार' का अर्थ है भौतिक सुखों की जगह नैतिक और बौद्धिक मूल्यों को महत्व देना। यह हमें सिखाता है कि असली खुशी वस्तुओं में नहीं, बल्कि ज्ञान, संतोष और अच्छे कर्मों में है। इस सिद्धांत को अपनाकर व्यक्ति तनावमुक्त और सार्थक जीवन जी सकता है।
(सांत्वना, पशुता, सेवा-शुश्रूषा, मानवता, सामर्थ्य)
| (1) परोपकार ही | मानवता |
| (2) केवल अपने सुख-दुख की चिंता करना | पशुता |
| (3) पागल अथवा रोगी की | सेवा-शुश्रूषा |
| (4) दुखी-निराश को | सांत्वना देना |
मानवता ही सच्चा धर्म है क्योंकि यह हमें जाति, पंथ और धर्म की सीमाओं से ऊपर उठकर एक-दूसरे की मदद करना सिखाती है। प्रेम, करुणा और सेवा जैसे मानवीय गुण ही समाज को जोड़ते हैं। ईश्वर की सच्ची पूजा दूसरों के दुख-दर्द को समझना और उन्हें दूर करना ही है।
विभाग 2 - पद्य : 12 अंक
भिक्षु होकर रहते सम्राट, दया दिखलाते घर-घर घूम।
'यवन' को दिया दया का दान, चीन को मिली धर्म की दृष्टि
मिला था स्वर्ण भूमि को रत्न, शील की सिंहल को भी सृष्टि।
किसी का हमने छीना नहीं, प्रकृति का रहा पालना यहीं
हमारी जन्मभूमि थी यही, कहीं से हम आए थे नहीं।
चरित थे पूत, भुजा में शक्ति, नम्रता रही सदा संपन्न
हृदय के गौरव में था गर्व, किसी को देख न सके विपन्न।
पूत
शक्ति
सदा संपन्न
था गर्व
- धूम - घूम
- दृष्टि - सृष्टि
- यहीं - नहीं
- (1) दयालु - दया
- (2) प्राकृतिक - प्रकृति
कवि कहते हैं कि भारत ने केवल शस्त्रों से नहीं, बल्कि धर्म और शांति से विजय प्राप्त की है। यहाँ के सम्राटों ने राज-पाट त्यागकर भिक्षु बनकर घर-घर दया का संदेश दिया। भारत ने यूनान को दया, चीन को धर्म की दृष्टि और अन्य देशों को ज्ञान और शील का उपहार दिया।
दामिनि दमक रहहिं घन माहीं। खल कै प्रीति जथा थिर नाहीं ॥
बरषहिं जलद भूमि निअराएँ। जथा नवहिं बुध विद्या पाएँ ॥
बूँद अघात सहहिं गिरि कैसे। खल के बचन संत सह जैसे ॥
छुद्र नदी भरि चली तोराई। जस थोरेहुँ धन खल इतराई ॥
भूमि परत भा ढाबर पानी। जनु जीवहिं माया लपटानी ॥
समिटि-समिटि जल भरहिं तलावा। जिमि सदगुन सज्जन पहिं आवा ॥
सरिता जल जलनिधि महुँ जाई। होई अचल जिमि जिव हरि पाई ॥
- (i) गरजने वाले - घन (बादल)
- (ii) चमकने वाली - दामिनि (बिजली)
- (iii) बूँद के आघात सहने वाले - गिरि (पर्वत)
- (iv) दुष्ट के वचन सहने वाले - संत
- (1) झुकना - नवहिं
- (2) मटमैला - ढाबर
- अघात (अ + घात)
- सदगुन (सद् + गुन)
कवि कहते हैं कि धरती पर गिरते ही पानी गंदा हो जाता है, जैसे जीव माया में लिपट जाता है। पानी एकत्र होकर तालाब भरता है, जैसे सज्जन में सद्गुण आते हैं। अंत में, नदी का जल समुद्र में मिलकर स्थिर हो जाता है, जैसे जीव ईश्वर को पाकर अचल हो जाता है।
विभाग 3 - पूरक पठन : 8 अंक
भ्रष्टाचार वास्तव में देश के लिए एक कलंक है। यह घुन की तरह राष्ट्र की नींव को खोखला कर देता है, जिससे सामाजिक व्यवस्था और विकास बाधित होता है। यह गरीबों का हक छीनता है और अयोग्यता को बढ़ावा देता है, जो देश की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है।
मँझधार में डोले,
सँभाले कौन ?
रंग-बिरंगे
रंग-संग लेकर
आया फागुन।
काँटों के बीच
खिलखिलाता फूल
देता प्रेरणा।
| महीना | त्योहार |
|---|---|
| फागुन | होली |
यह कथन बिल्कुल सत्य है। लगातार प्रयास और दृढ़ संकल्प से हम किसी भी चुनौती पर विजय पा सकते हैं। असफलताएँ केवल हमें सिखाती हैं और मजबूत बनाती हैं। जो व्यक्ति हार नहीं मानता, अंततः सफलता उसी के कदम चूमती है, जैसे काँटों के बीच भी फूल खिलता है।
विभाग 4 - भाषा अध्ययन (व्याकरण) : 14 अंक
- और - समुच्चयबोधक अव्यय
- ताज़ी - गुणवाचक विशेषण
- और: राम और श्याम स्कूल जा रहे हैं।
- के पास: मेरे घर के पास एक सुंदर बगीचा है।
| शब्द | संधि-विच्छेद | संधि भेद |
|---|---|---|
| दिग्गज | दिक् + गज | व्यंजन संधि |
| सदैव | सदा + एव | वृद्धि संधि |
- (i) वे पुस्तक पकड़े न रख सके। -> सहायक क्रिया: सके, मूल रूप: सकना
- (ii) अवश्य ही लोग खा-पीकर चले गए। -> सहायक क्रिया: गए, मूल रूप: जाना
| क्रिया | प्रथम प्रेरणार्थक रूप | द्वितीय प्रेरणार्थक रूप |
|---|---|---|
| देखना | दिखाना | दिखवाना |
| तोड़ना | तुड़ाना | तुड़वाना |
(i) मुँह लाल होना
- अर्थ: क्रोधित होना।
- वाक्य: अपनी झूठी शिकायत सुनकर रमेश का मुँह लाल हो गया।
(ii) टाँग अड़ाना
- अर्थ: बाधा डालना।
- वाक्य: अच्छे काम में टाँग अड़ाना दुष्ट लोगों की आदत होती है।
पंडित बुद्धिराम काकी को देखते ही क्रोध में आ गए।
पंडित बुद्धिराम काकी को देखते ही तिलमिला गए।
- (i) चाची अपने कमरे से निकल गयी थी। -> चिह्न: से, भेद: अपादान कारक
- (ii) कुछ समय के लिए विश्राम मिल जाता है। -> चिह्न: के लिए, भेद: संप्रदान कारक
जल्दी-जल्दी पैर बढ़ा।
- (i) आराम हराम हुआ है। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
उत्तर: आराम हराम हो रहा है। - (ii) वे बाजार से नई पुस्तक खरीदते हैं। (पूर्ण भूतकाल)
उत्तर: उन्होंने बाजार से नई पुस्तक खरीदी थी। - (iii) मैंने खिड़की से गरदन निकालकर झिड़की के स्वर में कहा। (सामान्य भविष्यकाल)
उत्तर: मैं खिड़की से गरदन निकालकर झिड़की के स्वर में कहूँगा।
- (1) मैं आज रात का खाना नहीं खाऊँगा। (विधानार्थक वाक्य)
उत्तर: मैं आज रात का खाना खाऊँगा। - (2) मानू इतना ही बोल सकी। (प्रश्नार्थक वाक्य)
उत्तर: क्या मानू इतना ही बोल सकी?
- (i) अशुद्ध: लक्ष्मी का एक झूब्बेदार पूँछ था।
शुद्ध: लक्ष्मी की एक झब्बेदार पूँछ थी। - (ii) अशुद्ध: घर में तख्ते के रखे जाने का आवाज आता है।
शुद्ध: घर में तख्ते के रखे जाने की आवाज आती है। - (iii) अशुद्ध: सामने शेर देखकर यात्री का प्राण मानो मुरझा गया।
शुद्ध: सामने शेर देखकर यात्री के प्राण मानो मुरझा गए।
विभाग 5 - रचना विभाग (उपयोजित लेखन) : 26 अंक
रोहिणी चौगुले,
42, विठ्ठल नगर,
पंढरपूर - 413304.
दिनांक: 25 अक्टूबर, 2024
प्रिय सोमेश,
सस्नेह नमस्ते।
आशा है तुम छात्रावास में स्वस्थ और प्रसन्न होंगे। तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है? कल माँ का पत्र मिला और उन्होंने बताया कि तुम आजकल अपना ज्यादातर समय मोबाइल पर बिताते हो, जिससे तुम्हारी पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।
भाई, मोबाइल ज्ञान का स्रोत है, लेकिन इसका अत्यधिक उपयोग बहुत हानिकारक है। इससे आँखों पर बुरा असर पड़ता है, पढ़ाई से ध्यान भटकता है और समय की भी बर्बादी होती है। यह तुम्हारी उम्र पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने की है। मोबाइल गेम्स और सोशल मीडिया के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है। कृपया मेरी सलाह मानो और मोबाइल का उपयोग केवल जरूरत पड़ने पर ही करो।
मुझे विश्वास है कि तुम मेरी बात समझोगे और अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दोगे। माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना।
तुम्हारी बड़ी बहन,
रोहिणी
कल्पना पाटेकर,
99, शिवालय चौक,
इगतपुरी - 422403.
दिनांक: 25 अक्टूबर, 2024
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
स्व. भैरोमल तलवाणी विद्यालय,
नासिक - 422001.
विषय: विद्यालय के रिकॉर्ड में जन्मतिथि सुधारने हेतु अनुरोध।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं, कल्पना पाटेकर, आपके विद्यालय की कक्षा दसवीं 'ब' की छात्रा हूँ। विद्यालय के रिकॉर्ड में मेरी जन्मतिथि भूलवश 15/08/2009 दर्ज हो गई है, जबकि मेरी सही जन्मतिथि 15/09/2009 है।
इस त्रुटि के कारण मुझे भविष्य में दस्तावेजी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। प्रमाण के लिए मैं अपने जन्म प्रमाण पत्र की एक प्रति इस पत्र के साथ संलग्न कर रही हूँ।
अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि कृपया विद्यालय के रिकॉर्ड में मेरी जन्मतिथि को सही करने की कृपा करें। इस कार्य के लिए मैं आपकी अत्यंत आभारी रहूँगी।
धन्यवाद।
आपकी आज्ञाकारी छात्रा,
कल्पना पाटेकर
कक्षा - १०वीं (ब)
रोल नं. - 25
- डॉ. गीता घोष कौन थीं?
- छतरी से उतरने का प्रशिक्षण पूरा करने के लिए छाताधारी को कितनी बार उतरना पड़ता है?
- प्रशिक्षण के दौरान डॉ. गीता का कौन-सा कथन उनकी उमंग और उत्साह को प्रकट करता है?
- डॉ. गीता के अनुसार कौन-सी शिक्षा उनके अभियान में काम आई?
सरस्वती विद्यालय में शिक्षक दिवस का भव्य आयोजन
कोल्हापुर, 6 सितंबर: कल दिनांक 5 सितंबर, 2024 को सरस्वती विद्यालय, कोल्हापुर के प्रांगण में शिक्षक दिवस बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का आरंभ सुबह 10 बजे माँ सरस्वती की वंदना से हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध शिक्षाविद् श्री. अविनाश पाटील उपस्थित थे।
कक्षा दसवीं के छात्रों ने शिक्षकों की भूमिका निभाकर कक्षाओं का संचालन किया। विद्यार्थियों ने शिक्षकों के सम्मान में गीत, नृत्य और लघु नाटिका प्रस्तुत की। प्रधानाचार्य महोदय और मुख्य अतिथि ने अपने भाषण में गुरु के महत्व पर प्रकाश डाला। अंत में, सभी शिक्षकों को उपहार देकर सम्मानित किया गया। दोपहर 1 बजे राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
(किसान के घर में चोर - घबराना - पत्नी की युक्ति - जोर-जोर से कहना - रुपए-गहने घर के पिछवाड़े बंजर जमीन में छिपा दिए हैं - चोर का बंजर जमीन खोदना - कुछ न मिलना - किसान का खुश होना।)
किसान की चतुराई
एक गाँव में रामू नाम का एक गरीब किसान रहता था। एक रात उसके घर में एक चोर घुस आया। आहट सुनकर रामू और उसकी पत्नी जाग गए और डर गए। तभी रामू की पत्नी ने एक युक्ति सोची। वह जोर-जोर से अपने पति से कहने लगी, "सुनिए जी, आजकल चोरियाँ बहुत हो रही हैं। हमने जो रुपए-गहने घर के पिछवाड़े वाली बंजर जमीन में गाड़ रखे हैं, उनकी चिंता हो रही है।"
यह सुनकर चोर बहुत खुश हुआ और तुरंत पिछवाड़े की ओर भागा। उसने खजाना पाने के लालच में पूरी रात उस बंजर जमीन को खोद डाला, लेकिन उसे कुछ नहीं मिला। सुबह होते ही वह निराश होकर चला गया। रामू और उसकी पत्नी ने देखा कि उनकी पूरी बंजर जमीन जुत गई है। वे अपनी पत्नी की चतुराई पर बहुत खुश हुए और उस जमीन पर फसल बो दी।
सीख: बुद्धि बल से बड़ी होती है। संकट के समय घबराना नहीं चाहिए, बल्कि युक्ति से काम लेना चाहिए।
खुल गया! खुल गया! खुल गया!
रंग-तरंग चित्रकला शिविर
अपने अंदर के कलाकार को जगाएँ!
विशेषताएँ
- ✓ प्रसिद्ध चित्रकारों द्वारा मार्गदर्शन
- ✓ सभी उम्र के लोगों के लिए
- ✓ चित्रकला सामग्री मुफ्त
- ✓ प्राकृतिक वातावरण में सीखने का अवसर
समय और स्थान
दिनांक: 1 जून से 10 जून तक
समय: सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक
स्थान: 'कला विहार', शिवाजी पार्क के पास, पुणे
उद्घाटक: सुप्रसिद्ध चित्रकार श्री. विकास सबनीस
आज ही अपना नाम दर्ज कराएँ! सीटें सीमित हैं।
संपर्क: 9876543210
(1) किसान की आत्मकथा
(2) भारत का चंद्रयान मिशन-3
(3) चाँदनी रात की सैर
किसान की आत्मकथा
मैं भारत का एक किसान हूँ। मेरा जीवन मिट्टी और मेहनत से जुड़ा है। सूर्योदय से पहले ही मेरे दिन की शुरुआत हो जाती है। मैं अपने बैलों को लेकर खेतों की ओर चल पड़ता हूँ। मेरे लिए मेरा खेत ही मेरा मंदिर है और फसल उगाना मेरी पूजा। मैं दिनभर कड़ी धूप और बारिश में काम करता हूँ ताकि देशवासियों का पेट भर सकूँ।
कभी अच्छी बारिश होती है तो फसल लहलहा उठती है, और मेरा मन खुशी से झूम उठता है। लेकिन कभी सूखा या बाढ़ सब कुछ तबाह कर देती है। कर्ज का बोझ और अनिश्चित भविष्य की चिंता मुझे सताती है। फिर भी, मैं हार नहीं मानता। जब मैं अपनी पकी हुई फसल को देखता हूँ, तो सारी थकान भूल जाता हूँ। मुझे गर्व है कि मैं एक 'अन्नदाता' हूँ।