MH-BOARD-CLASS-10-HINDI-SECOND-OR-THIRD-LANGUAGE-15-N-817-2025

HINDI (15) (REVISED COURSE) - N 817 | 2025 Solved Paper

HINDI (15) (REVISED COURSE) - N 817

2025 Solved Question Paper | Max. Marks: 80 | Time: 3 Hours

विभाग 1 - गद्य : 20 अंक

प्रश्न 1. (अ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: 8 अंक
आँख खुली तो मैंने अपने-आपको एक बिस्तर पर पाया। इर्द-गिर्द कुछ परिचित-अपरिचित चेहरे खड़े थे। आँख खुलते ही उनके चेहरों पर उत्सुकता की लहर दौड़ गई। मैंने कराहते हुए पूछा-"मैं कहाँ हूँ ?" "आप सार्वजनिक अस्पताल के प्राइवेट वार्ड में हैं। आपका ऐक्सिडेंट हो गया था। सिर्फ पैर का फ्रैक्चर हुआ है। अब घबराने की कोई बात नहीं।" एक चेहरा इतनी तेजी से जवाब देता है, लगता है मेरे होश आने तक वह इसलिए रुका रहा। अब मैं अपनी टाँगों की ओर देखता हूँ। मेरी एक टाँग अपनी जगह पर सही-सलामत थी और दूसरी टाँग रेत की थैली के सहारे एक स्टैंड पर लटक रही थी। मेरे दिमाग में एक नये मुहावरे का जन्म हुआ। 'टाँग का टूटना' यानी सार्वजनिक अस्पताल में कुछ दिन रहना। सार्वजनिक अस्पताल का खयाल आते ही मैं काँप उठा। अस्पताल वैसे ही एक खतरनाक शब्द होता है, फिर यदि उसके साथ सार्वजनिक शब्द चिपका हो तो समझो आत्मा से परमात्मा के मिलन होने का समय आ गया। अब मुझे यूँ लगा कि मेरी टाँग टूटना मात्र एक घटना है और सार्वजनिक अस्पताल में भरती होना दुर्घटना।
(1) उत्तर लिखिए :
(i) गद्यांश में उल्लेखित शरीर के अंग
उत्तर:
आँख पैर/टाँग
(ii) सार्वजनिक अस्पताल में भरती होना इनके मिलन जैसा है
उत्तर:
आत्मा परमात्मा
(2) उत्तर लिखिए : दुर्घटना के बाद लेखक की टाँगों की अवस्था
उत्तर:
एक टाँग अपनी जगह पर सही-सलामत थी।
दूसरी टाँग रेत की थैली के सहारे एक स्टैंड पर लटक रही थी।
(3) (i) गद्यांश में उल्लेखित अंग्रेजी शब्द लिखिए।
उत्तर:
  • ऐक्सिडेंट
  • प्राइवेट वार्ड
  • फ्रैक्चर
  • स्टैंड
(कोई भी दो अपेक्षित हैं)
(ii) निम्नलिखित शब्दों के लिए गद्यांश में उल्लेखित समानार्थी शब्द लिखिए :
उत्तर:
  • (1) रुग्णालय - अस्पताल
  • (2) शक्ल - चेहरा
(4) सार्वजनिक रुग्णालयों की स्थिति के बारे में 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:

सार्वजनिक अस्पताल गरीबों और जरूरतमंदों के लिए एक वरदान हैं, लेकिन उनकी स्थिति अक्सर चिंताजनक होती है। यहाँ संसाधनों की कमी, अत्यधिक भीड़ और साफ-सफाई का अभाव जैसी समस्याएँ आम हैं। इसके बावजूद, वहाँ के डॉक्टर और कर्मचारी सीमित साधनों में भी लोगों की सेवा करने का सराहनीय प्रयास करते हैं। सरकार को इनकी स्थिति सुधारने पर अधिक ध्यान देना चाहिए।


(आ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: 8 अंक
हमने अपने जीवन में बाबू जी के रहते अभाव नहीं देखा। उनके न रहने के बाद जो कुछ मुझपर बीता, वह एक दूसरी तरह का अभाव था कि मुझे बैंक की नौकरी करनी पड़ी। लेकिन उससे पूर्व बाबू जी के रहते में जब जन्मा था तब वे उत्तर प्रदेश में पुलिस मंत्री थे। उस समय गृहमंत्री को पुलिस मंत्री कहा जाता था। इसलिए मैं हमेशा कल्पना किया करता था कि हमारे पास ये छोटी गाड़ी नहीं, बड़ी आलीशान गाड़ी होनी चाहिए। बाबू जी प्रधानमंत्री हुए तो वहाँ जो गाड़ी थी वह थी, इंपाला शेवरलेट। उसे देख-देख, बड़ा जी करता कि मौका मिले और उसे चलाऊँ। प्रधानमंत्री का लड़का था। कोई मामूली बात नहीं थी। सोचते-विचारते, कल्पना की उड़ान भरते एक दिन मौका मिल गया। धीरे-धीरे हिम्मत भी खुल गई थी ऑर्डर देने की। हमने बाबू जी के निजी सचिव से कहा- “सहाय साहब, जरा ड्राइवर से कहिए, इंपाला लेकर रेजिडेंस की तरफ आ जाएँ।" दो मिनट में गाड़ी आकर दरवाजे पर लग गई। अनिल भैया ने कहा- "मैं तो इसे चलाऊँगा नहीं। तुम्हीं चलाओ।" मैं आगे बढ़ा। ड्राइवर से चाभी माँगी। बोला-"तुम बैठो, आराम करो, हम लोग वापस आते हैं अभी।"
(1) कृति पूर्ण कीजिए :
उत्तर:

लेखक ने चाभी माँगकर ड्राइवर से कहा:

"तुम बैठो, आराम करो,"
"हम लोग वापस आते हैं अभी।"
(ii) लेखक के जीवन पर हुआ परिणाम
उत्तर:
बाबू जी के रहते बाबू जी के न रहते
लेखक ने कोई अभाव नहीं देखा। लेखक को बैंक की नौकरी करनी पड़ी।
(2) उत्तर लिखिए :
उत्तर:
  • (i) लेखक यह कल्पना किया करते थे - कि हमारे पास छोटी नहीं, बड़ी आलीशान गाड़ी होनी चाहिए।
  • (ii) लेखक के जन्म के समय बाबू जी उत्तर प्रदेश में - पुलिस मंत्री थे।
(3) (i) गद्यांश में उल्लेखित विलोम शब्द की जोड़ी ढूँढ़कर लिखिए :
उत्तर: छोटी × बड़ी
(ii) गद्यांश में उल्लेखित शब्दयुग्म ढूँढ़कर लिखिए :
उत्तर:
  • देख-देख
  • सोचते-विचारते
  • धीरे-धीरे
(कोई भी दो अपेक्षित हैं)
(4) 'सादा जीवन, उच्च विचार' इस विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:

'सादा जीवन, उच्च विचार' का अर्थ है भौतिक सुखों की जगह नैतिक और बौद्धिक मूल्यों को महत्व देना। यह हमें सिखाता है कि असली खुशी वस्तुओं में नहीं, बल्कि ज्ञान, संतोष और अच्छे कर्मों में है। इस सिद्धांत को अपनाकर व्यक्ति तनावमुक्त और सार्थक जीवन जी सकता है।


(इ) निम्नलिखित अपठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: 4 अंक
परोपकार ही मानवता है, जैसा कि राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने लिखा है- 'वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए मरे।' केवल अपने दुख-सुख की चिंता करना मानवता नहीं, पशुता है। परोपकार ही मानव को पशुता से सदय बनाता है। वस्तुतः निःस्वार्थ भावना से दूसरों का हित साधना ही परोपकार है। मनुष्य अपनी सामर्थ्य के अनुसार परोपकार कर सकता है। दूसरों के प्रति सहानुभूति करना ही परोपकार है और सहानुभूति किसी भी रूप में प्रकट की जा सकती है। किसी निर्धन की आर्थिक सहायता करना अथवा किसी असहाय की रक्षा करना परोपकार के रूप हैं। किसी पागल अथवा रोगी की सेवा-शुश्रूषा करना अथवा भूखे को अन्नदान करना भी परोपकार है। किसी को संकट से बचा लेना, किसी को कुमार्ग से हटा देना, किसी दुखी-निराश को सांत्वना देना- ये सब परोपकार के ही रूप हैं। कोई भी कार्य, जिससे किसी को लाभ पहुँचता है, परोपकार है, जो अपनी सामर्थ्य के अनुसार विभिन्न रूपों में किया जा सकता है।
(1) कोष्ठक में दिए गए शब्दों में से उचित शब्द चुनकर तालिका पूर्ण कीजिए :
(सांत्वना, पशुता, सेवा-शुश्रूषा, मानवता, सामर्थ्य)
उत्तर:
(1) परोपकार हीमानवता
(2) केवल अपने सुख-दुख की चिंता करनापशुता
(3) पागल अथवा रोगी कीसेवा-शुश्रूषा
(4) दुखी-निराश कोसांत्वना देना
(2) 'मानवता ही सच्चा धर्म है' विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:

मानवता ही सच्चा धर्म है क्योंकि यह हमें जाति, पंथ और धर्म की सीमाओं से ऊपर उठकर एक-दूसरे की मदद करना सिखाती है। प्रेम, करुणा और सेवा जैसे मानवीय गुण ही समाज को जोड़ते हैं। ईश्वर की सच्ची पूजा दूसरों के दुख-दर्द को समझना और उन्हें दूर करना ही है।

विभाग 2 - पद्य : 12 अंक

प्रश्न 2. (अ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: 6 अंक
विजय केवल लोहे की नहीं, धर्म की रही धरा पर धूम
भिक्षु होकर रहते सम्राट, दया दिखलाते घर-घर घूम।
'यवन' को दिया दया का दान, चीन को मिली धर्म की दृष्टि
मिला था स्वर्ण भूमि को रत्न, शील की सिंहल को भी सृष्टि।
किसी का हमने छीना नहीं, प्रकृति का रहा पालना यहीं
हमारी जन्मभूमि थी यही, कहीं से हम आए थे नहीं।
चरित थे पूत, भुजा में शक्ति, नम्रता रही सदा संपन्न
हृदय के गौरव में था गर्व, किसी को देख न सके विपन्न।
(1) कृति पूर्ण कीजिए :
उत्तर:
चरित थे
पूत
भुजा में
शक्ति
नम्रता रही
सदा संपन्न
हृदय के गौरव में
था गर्व
(2) उत्तर लिखिए :
(i) पद्यांश से लय-ताल युक्त शब्द ढूँढ़कर लिखिए :
उत्तर:
  • धूम - घूम
  • दृष्टि - सृष्टि
  • यहीं - नहीं
(ii) निम्नलिखित प्रत्यययुक्त शब्दों के मूलशब्द पद्यांश से ढूँढ़कर लिखिए :
उत्तर:
  • (1) दयालु - दया
  • (2) प्राकृतिक - प्रकृति
(3) उपर्युक्त पद्यांश की प्रथम चार पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:

कवि कहते हैं कि भारत ने केवल शस्त्रों से नहीं, बल्कि धर्म और शांति से विजय प्राप्त की है। यहाँ के सम्राटों ने राज-पाट त्यागकर भिक्षु बनकर घर-घर दया का संदेश दिया। भारत ने यूनान को दया, चीन को धर्म की दृष्टि और अन्य देशों को ज्ञान और शील का उपहार दिया।


(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: 6 अंक
घन घमंड नभ गरजत घोरा। प्रिया हीन डरपत मन मोरा ॥
दामिनि दमक रहहिं घन माहीं। खल कै प्रीति जथा थिर नाहीं ॥
बरषहिं जलद भूमि निअराएँ। जथा नवहिं बुध विद्या पाएँ ॥
बूँद अघात सहहिं गिरि कैसे। खल के बचन संत सह जैसे ॥
छुद्र नदी भरि चली तोराई। जस थोरेहुँ धन खल इतराई ॥
भूमि परत भा ढाबर पानी। जनु जीवहिं माया लपटानी ॥
समिटि-समिटि जल भरहिं तलावा। जिमि सदगुन सज्जन पहिं आवा ॥
सरिता जल जलनिधि महुँ जाई। होई अचल जिमि जिव हरि पाई ॥
(1) उत्तर लिखिए :
उत्तर:
  • (i) गरजने वाले - घन (बादल)
  • (ii) चमकने वाली - दामिनि (बिजली)
  • (iii) बूँद के आघात सहने वाले - गिरि (पर्वत)
  • (iv) दुष्ट के वचन सहने वाले - संत
(2) पद्यांश से ढूँढ़कर लिखिए :
(i) निम्न अर्थ के शब्द :
उत्तर:
  • (1) झुकना - नवहिं
  • (2) मटमैला - ढाबर
(ii) उपसर्गयुक्त शब्द :
उत्तर:
  • अघात (अ + घात)
  • सदगुन (सद् + गुन)
(3) उपर्युक्त पद्यांश की अंतिम चार पंक्तियों का सरल अर्थ 25 से 30 शब्दों में लिखिए।
उत्तर:

कवि कहते हैं कि धरती पर गिरते ही पानी गंदा हो जाता है, जैसे जीव माया में लिपट जाता है। पानी एकत्र होकर तालाब भरता है, जैसे सज्जन में सद्गुण आते हैं। अंत में, नदी का जल समुद्र में मिलकर स्थिर हो जाता है, जैसे जीव ईश्वर को पाकर अचल हो जाता है।

विभाग 3 - पूरक पठन : 8 अंक

प्रश्न 3. (अ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: 4 अंक
आज फिर उसे साक्षात्कार के लिए जाना है। अब तक देशप्रेम, नैतिकता, शिष्टाचार, ईमानदारी पर अपने तर्कपूर्ण विचार बड़े विश्वास से रखता आया था लेकिन इसके बावजूद उसके हिस्से में सिर्फ असफलता ही आई थी। साक्षात्कार के लिए उपस्थित प्रतिनिधि मंडल में से एक अधिकारी ने पूछा- "भ्रष्टाचार के बारे में आपकी क्या राय है ?" "भ्रष्टाचार एक ऐसा कीड़ा है जो देश को घुन की तरह खा रहा है। इसने सारी सामाजिक व्यवस्था को चिंताजनक स्थिति में पहुँचा दिया है। सच कहा जाए तो यह देश के लिए कलंक है।" अधिकारियों के चेहरे पर हलकी-सी मुसकान और उत्सुकता छा गई। उसके तर्क में उन्हें रुचि महसूस होने लगी। दूसरे अधिकारी ने प्रश्न किया-"रिश्वत को आप क्या मानते हैं ?" "यह भ्रष्टाचार की बहन है जैसे विशेष अवसरों पर हम अपने प्रियजनों, परिचितों, मित्रों को उपहार देते हैं।"
(1) कृति पूर्ण कीजिए : युवक के तर्कपूर्ण विचारों के विषय
उत्तर:
देशप्रेम
नैतिकता
शिष्टाचार
ईमानदारी
(2) "भ्रष्टाचार एक कलंक" विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:

भ्रष्टाचार वास्तव में देश के लिए एक कलंक है। यह घुन की तरह राष्ट्र की नींव को खोखला कर देता है, जिससे सामाजिक व्यवस्था और विकास बाधित होता है। यह गरीबों का हक छीनता है और अयोग्यता को बढ़ावा देता है, जो देश की प्रगति में सबसे बड़ी बाधा है।


(आ) निम्नलिखित पठित पद्यांश पढ़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए: 4 अंक
जीवन नैया
मँझधार में डोले,
सँभाले कौन ?

रंग-बिरंगे
रंग-संग लेकर
आया फागुन।

काँटों के बीच
खिलखिलाता फूल
देता प्रेरणा।
(1) आकृति पूर्ण कीजिए :
(i) हाइकु में उल्लेखित महीना और उसमें आने वाला त्योहार
उत्तर:
महीनात्योहार
फागुनहोली
(ii) फूल की विशेषताएँ
उत्तर:
काँटों के बीच खिलखिलाता है।
प्रेरणा देता है।
(2) 'कोशिश करने वालों की हार नहीं होती' विषय पर 25 से 30 शब्दों में अपने विचार लिखिए।
उत्तर:

यह कथन बिल्कुल सत्य है। लगातार प्रयास और दृढ़ संकल्प से हम किसी भी चुनौती पर विजय पा सकते हैं। असफलताएँ केवल हमें सिखाती हैं और मजबूत बनाती हैं। जो व्यक्ति हार नहीं मानता, अंततः सफलता उसी के कदम चूमती है, जैसे काँटों के बीच भी फूल खिलता है।

विभाग 4 - भाषा अध्ययन (व्याकरण) : 14 अंक

(1) अधोरेखांकित शब्द का शब्दभेद पहचानकर लिखिए : वे हलुवा-पूड़ी और ताज़ी दूध-मलाई खाते हैं।
उत्तर:
  • और - समुच्चयबोधक अव्यय
  • ताज़ी - गुणवाचक विशेषण
(2) निम्नलिखित अव्ययों में से किसी एक अव्यय का अर्थपूर्ण वाक्य में प्रयोग कीजिए : (i) और (ii) के पास
उत्तर:
  • और: राम और श्याम स्कूल जा रहे हैं।
  • के पास: मेरे घर के पास एक सुंदर बगीचा है।
(3) कृति पूर्ण कीजिए :
उत्तर:
शब्दसंधि-विच्छेदसंधि भेद
दिग्गजदिक् + गजव्यंजन संधि
सदैवसदा + एववृद्धि संधि
(4) निम्नलिखित वाक्यों में से किसी एक वाक्य की सहायक क्रिया पहचानकर उसका मूल रूप लिखिए :
उत्तर:
  • (i) वे पुस्तक पकड़े न रख सके। -> सहायक क्रिया: सके, मूल रूप: सकना
  • (ii) अवश्य ही लोग खा-पीकर चले गए। -> सहायक क्रिया: गए, मूल रूप: जाना
(5) निम्नलिखित में से किसी एक क्रिया का प्रथम तथा द्वितीय प्रेरणार्थक रूप लिखिए :
उत्तर:
क्रियाप्रथम प्रेरणार्थक रूपद्वितीय प्रेरणार्थक रूप
देखनादिखानादिखवाना
तोड़नातुड़ानातुड़वाना
(6) निम्नलिखित मुहावरों में से किसी एक मुहावरे का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए :
उत्तर:

(i) मुँह लाल होना

  • अर्थ: क्रोधित होना।
  • वाक्य: अपनी झूठी शिकायत सुनकर रमेश का मुँह लाल हो गया।

(ii) टाँग अड़ाना

  • अर्थ: बाधा डालना।
  • वाक्य: अच्छे काम में टाँग अड़ाना दुष्ट लोगों की आदत होती है।
अथवा
अधोरेखांकित वाक्यांश के लिए कोष्ठक में दिए मुहावरों में से उचित मुहावरे का चयन करके वाक्य फिर से लिखिए : (तिलमिला जाना, काँप उठना)
पंडित बुद्धिराम काकी को देखते ही क्रोध में आ गए।
उत्तर:

पंडित बुद्धिराम काकी को देखते ही तिलमिला गए

(7) निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त कारकों में से कोई एक कारक पहचानकर उसका भेद लिखिए :
उत्तर:
  • (i) चाची अपने कमरे से निकल गयी थी। -> चिह्न: से, भेद: अपादान कारक
  • (ii) कुछ समय के लिए विश्राम मिल जाता है। -> चिह्न: के लिए, भेद: संप्रदान कारक
(8) निम्नलिखित वाक्य में यथास्थान उचित विराम-चिह्नों का प्रयोग करके वाक्य फिर से लिखिए : जल्दी जल्दी पैर बढ़ा
उत्तर:

जल्दी-जल्दी पैर बढ़ा।

(9) निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो वाक्यों का सूचना के अनुसार काल परिवर्तन करके वाक्य फिर से लिखिए :
उत्तर:
  • (i) आराम हराम हुआ है। (अपूर्ण वर्तमानकाल)
    उत्तर: आराम हराम हो रहा है।
  • (ii) वे बाजार से नई पुस्तक खरीदते हैं। (पूर्ण भूतकाल)
    उत्तर: उन्होंने बाजार से नई पुस्तक खरीदी थी।
  • (iii) मैंने खिड़की से गरदन निकालकर झिड़की के स्वर में कहा। (सामान्य भविष्यकाल)
    उत्तर: मैं खिड़की से गरदन निकालकर झिड़की के स्वर में कहूँगा।
(10) (i) निम्नलिखित वाक्य का रचना के आधार पर भेद पहचानकर लिखिए : वह बूढ़ी काकी पर झपटी और उन्हें हाथों से झटककर बोली।
उत्तर: संयुक्त वाक्य
(ii) निम्नलिखित वाक्यों में से किसी एक वाक्य का अर्थ के आधार पर दी गई सूचनानुसार परिवर्तन कीजिए :
उत्तर:
  • (1) मैं आज रात का खाना नहीं खाऊँगा। (विधानार्थक वाक्य)
    उत्तर: मैं आज रात का खाना खाऊँगा।
  • (2) मानू इतना ही बोल सकी। (प्रश्नार्थक वाक्य)
    उत्तर: क्या मानू इतना ही बोल सकी?
(11) निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं दो वाक्यों को शुद्ध करके वाक्य फिर से लिखिए :
उत्तर:
  • (i) अशुद्ध: लक्ष्मी का एक झूब्बेदार पूँछ था।
    शुद्ध: लक्ष्मी की एक झब्बेदार पूँछ थी।
  • (ii) अशुद्ध: घर में तख्ते के रखे जाने का आवाज आता है।
    शुद्ध: घर में तख्ते के रखे जाने की आवाज आती है।
  • (iii) अशुद्ध: सामने शेर देखकर यात्री का प्राण मानो मुरझा गया।
    शुद्ध: सामने शेर देखकर यात्री के प्राण मानो मुरझा गए।

विभाग 5 - रचना विभाग (उपयोजित लेखन) : 26 अंक

प्रश्न 5. (अ) (1) पत्रलेखन : 5 अंक
रोहन/रोहिणी चौगुले, 42, विठ्ठल नगर, पंढरपूर से अपने छोटे भाई सोमेश चौगुले, म. फुले छात्रावास, अहमदनगर को मोबाईल के दुष्परिणामों को समझाते हुए पत्र लिखता/लिखती है।
उत्तर: (अनौपचारिक पत्र)

रोहिणी चौगुले,
42, विठ्ठल नगर,
पंढरपूर - 413304.
दिनांक: 25 अक्टूबर, 2024

प्रिय सोमेश,
सस्नेह नमस्ते।

आशा है तुम छात्रावास में स्वस्थ और प्रसन्न होंगे। तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है? कल माँ का पत्र मिला और उन्होंने बताया कि तुम आजकल अपना ज्यादातर समय मोबाइल पर बिताते हो, जिससे तुम्हारी पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।

भाई, मोबाइल ज्ञान का स्रोत है, लेकिन इसका अत्यधिक उपयोग बहुत हानिकारक है। इससे आँखों पर बुरा असर पड़ता है, पढ़ाई से ध्यान भटकता है और समय की भी बर्बादी होती है। यह तुम्हारी उम्र पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने की है। मोबाइल गेम्स और सोशल मीडिया के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है। कृपया मेरी सलाह मानो और मोबाइल का उपयोग केवल जरूरत पड़ने पर ही करो।

मुझे विश्वास है कि तुम मेरी बात समझोगे और अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान दोगे। माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना।

तुम्हारी बड़ी बहन,
रोहिणी

अथवा
कल्पेश/कल्पना पाटेकर, 99, शिवालय चौक, इगतपुरी से अपनी गलत जन्मतिथि को सुधार करने हेतु प्रधानाचार्य, स्व. भैरोमल तलवाणी विद्यालय, नासिक को पत्र लिखता/लिखती है।
उत्तर: (औपचारिक पत्र)

कल्पना पाटेकर,
99, शिवालय चौक,
इगतपुरी - 422403.
दिनांक: 25 अक्टूबर, 2024

सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
स्व. भैरोमल तलवाणी विद्यालय,
नासिक - 422001.

विषय: विद्यालय के रिकॉर्ड में जन्मतिथि सुधारने हेतु अनुरोध।

महोदय,

सविनय निवेदन है कि मैं, कल्पना पाटेकर, आपके विद्यालय की कक्षा दसवीं 'ब' की छात्रा हूँ। विद्यालय के रिकॉर्ड में मेरी जन्मतिथि भूलवश 15/08/2009 दर्ज हो गई है, जबकि मेरी सही जन्मतिथि 15/09/2009 है।

इस त्रुटि के कारण मुझे भविष्य में दस्तावेजी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। प्रमाण के लिए मैं अपने जन्म प्रमाण पत्र की एक प्रति इस पत्र के साथ संलग्न कर रही हूँ।

अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि कृपया विद्यालय के रिकॉर्ड में मेरी जन्मतिथि को सही करने की कृपा करें। इस कार्य के लिए मैं आपकी अत्यंत आभारी रहूँगी।

धन्यवाद।

आपकी आज्ञाकारी छात्रा,
कल्पना पाटेकर
कक्षा - १०वीं (ब)
रोल नं. - 25


(2) गद्य आकलन (प्रश्न निर्मिति) 4 अंक
निम्नलिखित गद्यांश पढ़कर ऐसे चार प्रश्न तैयार कीजिए, जिनके उत्तर गद्यांश में एक-एक वाक्य में हों :
भारतीय वायुसेना की एक प्रशिक्षणार्थी डॉ. कु. गीता घोष ने उस दिन यह छलाँग लगाकर भारतीय महिलाओं की प्रगति के इतिहास में एक पन्ना और जोड़ दिया था। डॉ. घोष पहली भारतीय महिला हैं, जिन्होंने वायुयान से छतरी द्वारा उतरने का साहसिक अभियान किया था। छतरी से उतरने का प्रशिक्षण पूरा करने के लिए हर छाताधारी को सात बार छतरी से उतरना पड़ता है। इनमें से पहली कूद तो रोमांचित होती ही है, वह कूद और भी रोमांचक होती है, जब उसे रात के अँधेरे में कहीं जंगल में अकेले उतरना होता है। डॉ. गीता न पहली कूद में घबराईं, न अन्य कूदों में और इसी प्रकार सातों कूदें उन्होंने सफलतापूर्वक पूरी कर लीं। प्रशिक्षण के दौरान उनका यह कथन कि 'मैं चाहती हूँ, जल्दी ये कूदें खत्म हों और मैं पूर्ण सफल छाताधारी बन जाऊँ', उनकी उमंग तथा उत्साह को प्रकट करता है। डॉ. गीता के अनुसार, उनकी डॉक्टरी शिक्षा भी इसी अभियान में काम आई। फिर लगन और नए क्षेत्र में प्रवेश का उत्साह हो तो कौन-सा काम कठिन रह जाता है। प्रशिक्षण से पूर्व तो उन्हें और भी कठिन परीक्षाओं के दौर से गुजरना पड़ा था।
उत्तर: (तैयार प्रश्न)
  1. डॉ. गीता घोष कौन थीं?
  2. छतरी से उतरने का प्रशिक्षण पूरा करने के लिए छाताधारी को कितनी बार उतरना पड़ता है?
  3. प्रशिक्षण के दौरान डॉ. गीता का कौन-सा कथन उनकी उमंग और उत्साह को प्रकट करता है?
  4. डॉ. गीता के अनुसार कौन-सी शिक्षा उनके अभियान में काम आई?

(आ) (1) वृत्तांत लेखन : 5 अंक
सरस्वती विद्यालय, कोल्हापुर में मनाए गए 'शिक्षक दिवस' समारोह का 70 से 80 शब्दों में वृत्तांत लेखन कीजिए। (वृत्तांत में स्थल, काल, घटना का उल्लेख होना अनिवार्य है)
उत्तर:

सरस्वती विद्यालय में शिक्षक दिवस का भव्य आयोजन

कोल्हापुर, 6 सितंबर: कल दिनांक 5 सितंबर, 2024 को सरस्वती विद्यालय, कोल्हापुर के प्रांगण में शिक्षक दिवस बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का आरंभ सुबह 10 बजे माँ सरस्वती की वंदना से हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध शिक्षाविद् श्री. अविनाश पाटील उपस्थित थे।

कक्षा दसवीं के छात्रों ने शिक्षकों की भूमिका निभाकर कक्षाओं का संचालन किया। विद्यार्थियों ने शिक्षकों के सम्मान में गीत, नृत्य और लघु नाटिका प्रस्तुत की। प्रधानाचार्य महोदय और मुख्य अतिथि ने अपने भाषण में गुरु के महत्व पर प्रकाश डाला। अंत में, सभी शिक्षकों को उपहार देकर सम्मानित किया गया। दोपहर 1 बजे राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

अथवा
कहानी लेखन : 5 अंक
निम्नलिखित मुद्दों के आधार पर 70 से 80 शब्दों में कहानी लिखकर उसे उचित शीर्षक दीजिए तथा सीख लिखिए :
(किसान के घर में चोर - घबराना - पत्नी की युक्ति - जोर-जोर से कहना - रुपए-गहने घर के पिछवाड़े बंजर जमीन में छिपा दिए हैं - चोर का बंजर जमीन खोदना - कुछ न मिलना - किसान का खुश होना।)
उत्तर:

किसान की चतुराई

एक गाँव में रामू नाम का एक गरीब किसान रहता था। एक रात उसके घर में एक चोर घुस आया। आहट सुनकर रामू और उसकी पत्नी जाग गए और डर गए। तभी रामू की पत्नी ने एक युक्ति सोची। वह जोर-जोर से अपने पति से कहने लगी, "सुनिए जी, आजकल चोरियाँ बहुत हो रही हैं। हमने जो रुपए-गहने घर के पिछवाड़े वाली बंजर जमीन में गाड़ रखे हैं, उनकी चिंता हो रही है।"

यह सुनकर चोर बहुत खुश हुआ और तुरंत पिछवाड़े की ओर भागा। उसने खजाना पाने के लालच में पूरी रात उस बंजर जमीन को खोद डाला, लेकिन उसे कुछ नहीं मिला। सुबह होते ही वह निराश होकर चला गया। रामू और उसकी पत्नी ने देखा कि उनकी पूरी बंजर जमीन जुत गई है। वे अपनी पत्नी की चतुराई पर बहुत खुश हुए और उस जमीन पर फसल बो दी।

सीख: बुद्धि बल से बड़ी होती है। संकट के समय घबराना नहीं चाहिए, बल्कि युक्ति से काम लेना चाहिए।


(2) विज्ञापन लेखन : 5 अंक
निम्नलिखित जानकारी के आधार पर 50 से 60 शब्दों में विज्ञापन तैयार कीजिए :
उत्तर:

खुल गया! खुल गया! खुल गया!

रंग-तरंग चित्रकला शिविर

अपने अंदर के कलाकार को जगाएँ!

विशेषताएँ

  • ✓ प्रसिद्ध चित्रकारों द्वारा मार्गदर्शन
  • ✓ सभी उम्र के लोगों के लिए
  • ✓ चित्रकला सामग्री मुफ्त
  • ✓ प्राकृतिक वातावरण में सीखने का अवसर

समय और स्थान

दिनांक: 1 जून से 10 जून तक
समय: सुबह 10 बजे से दोपहर 1 बजे तक
स्थान: 'कला विहार', शिवाजी पार्क के पास, पुणे

उद्घाटक: सुप्रसिद्ध चित्रकार श्री. विकास सबनीस

आज ही अपना नाम दर्ज कराएँ! सीटें सीमित हैं।
संपर्क: 9876543210


(इ) निबंध लेखन : 7 अंक
निम्नलिखित विषयों में से किसी एक विषय पर 80 से 100 शब्दों में निबंध लिखिए :
(1) किसान की आत्मकथा
(2) भारत का चंद्रयान मिशन-3
(3) चाँदनी रात की सैर
उत्तर: (विषय 1: किसान की आत्मकथा)

किसान की आत्मकथा

मैं भारत का एक किसान हूँ। मेरा जीवन मिट्टी और मेहनत से जुड़ा है। सूर्योदय से पहले ही मेरे दिन की शुरुआत हो जाती है। मैं अपने बैलों को लेकर खेतों की ओर चल पड़ता हूँ। मेरे लिए मेरा खेत ही मेरा मंदिर है और फसल उगाना मेरी पूजा। मैं दिनभर कड़ी धूप और बारिश में काम करता हूँ ताकि देशवासियों का पेट भर सकूँ।

कभी अच्छी बारिश होती है तो फसल लहलहा उठती है, और मेरा मन खुशी से झूम उठता है। लेकिन कभी सूखा या बाढ़ सब कुछ तबाह कर देती है। कर्ज का बोझ और अनिश्चित भविष्य की चिंता मुझे सताती है। फिर भी, मैं हार नहीं मानता। जब मैं अपनी पकी हुई फसल को देखता हूँ, तो सारी थकान भूल जाता हूँ। मुझे गर्व है कि मैं एक 'अन्नदाता' हूँ।